सब्जी मंडी में इस ठेले पर बनता है लाजवाब समोसा, लोगों को खींच लाता है स्वाद

सावन कुमार/बक्सर : अक्सर जब हम गलियों से बाजार की तरफ निकलते हैं तब तरह-तरह के स्ट्रीट फूड की महक हमारी नाक तक पहुंचती है. तब जी यही करता है कि थोड़ा रुककर इस सुगंधित लजीज आइटम का स्वाद चख लें. भले ही आप बाकी फूड को छोड़ दें, लेकिन जब बात आती है समोसे की तो मुंह से पानी खुद-ब-खुद निकलने लगता है. अपने मन को लाख रोकने के बावजूद भी मन गरमा-गरम छन रहे समोसे की तरफ चला ही जाता है.

स्ट्रीट फूड समोसा की दुकान और भी तब लुभाने लगता है जब समोसे के अंदर का मसाला काफी चटपटा हो और खट्टी चटनी हो. इसके बाद जब भी उस रास्ते से गुजरते हैं समोसा का महक आपको खींच लता है. बक्सर के राम रेखा घाट के पास सब्जी मंडी में वैसे एक दुकान है जहां का समोसा बेहद खास है, यहां खाने वालों की समोसा खाने वालों लगी रहती है.

6 रुपए पीस में अजय खिलाते हैं समोसा
वैसे तो बक्सर के राम रेखा घाट के पास दर्जनों छोटी-बड़ी स्ट्रीट फूड की दुकान है. लेकिन सब्जी मंडी के पास समोसे की दुकान बेहद खास है. इस दुकान को अजय कुमार चलाते हैं. अजय अपनी ठेला को हीं दुकान बना लिया है.

अजय ने बताया कि इस ठेले पर समोसा के साथ ब्रेड पकौड़ा, चना पकौड़ा, मिर्च पकौड़ा और अन्य आइटम को बेहद स्वादिष्ट बनाते हैं. लेकिन समोसे की अधिक बिक्री होती है. समोसा के साथ परोसे जाने वाली हरी चटनी स्वाद को और चटपटा बना देती है. उन्होंने बताया अन्य दुकान से सस्ते में यहां लोगों को समोसा खिलाते हैं. सब्जी मंडी आने वाले लोग इस ठेले की दुकान पर आकर जरूर समोसा और पकौड़ी खाते हैं. उन्होंने बताया कि महज 6 रुपए में लोगों को समोसा खिलाते हैं.

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रोजाना दो हजार से अधिक की कर लेते हैं बिक्री
दुकानदार अजय कुमार गुप्ता ने बताया कि रोजाना दो हजार से अधिक का समोसा सहित अलग-अलग तरह के पकौड़े की बिक्री कर लेते हैं. उन्होंने बताया कि बाजार में जैसी भीड़ रहती है उसी के अनुसार पर कमाई भी होती है. अजय ने बताया कि घर चलाने के लिए स्वरोजगार सबसे अच्छा माध्यम है.

इसमें मेहनत तो है, लेकिन संतुष्टि भी है. उन्होंने बताया कि कभी-कभी यह लगता है कि अगर कुछ ज्यादा पढ़े-लिखे होते तो शायद नौकरी कर सकते थे. लेकिन यह भी देखते हैं कि सरकारी नौकरी के चक्कर में युवा आधी उम्र गुजार देते हैं, लेकिन अंत में निराशा ही हाथ लगती है. उन्होंने बताया कि जिंदगी का उद्देश्य पैसा कमाना ही है, चाहे वह ज्यादा हो या काम. इससे बेहतर यही है कि हम स्वरोजगार क्यों ना करें.

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