नकुल कुमार/पूर्वी चंपारण. पूर्वी चंपारण जिले के रहनेवाले एक छोटे से किसान ने सब्जी की खेती कर अपने दो बेटों को डॉक्टर बनाया है. किसान नारायण चंद्र दास पिछले 25 वर्ष से सब्जी की खेती कर रहे हैं. इससे पहले उनके पिता नकुल चंद्र दास (अब दिवंगत) परंपरागत रूप से धान और गेहूं की खेती करते थे. इसके बाद उन्होंने भी अपनी पैतृक खेती-बाड़ी अपनाई. लेकिन बाद में परंपरागत खेती में मुनाफा नहीं होता देख वे सब्जी की खेती करने लगे. सब्जी की खेती कर उन्होंने अपने दो बेटों को डॉक्टर बनाया. तीसरा बेटा किराने की दुकान चलाता है.
पूर्वी चंपारण के रहने वाले नारायण चंद्र दास पिछले 25 वर्ष से सब्जी की खेती कर रहे हैं. इस बार भी उन्होंने 8 कट्ठे में नेनुआ की खेती की है. नारायण चंद्र दास कहते हैं कि परंपरागत खेती से हटकर जब उन्होंने सब्जी की खेती की, तो अच्छा खासा मुनाफा कमाने लगे. इतना मुनाफा कमाया कि उन्होंने अपने दो बेटे को डॉक्टर बना दिया. वे कहते हैं किटमाटर, बोदी, कद्दू आदि की खेती करते हैं. उनके डॉक्टर बेटे भी सुबह में खेती किसानी में उनका हाथ बंटाते हैं. वो बताते हैं कि उनके बाद खेत में उनकी तरह कोई काम नहीं करेगा.
एक खर्च में कर रहे हैं दो किसानी
जहां अन्य खेती में हर बार नए तरीके से खेत को तैयार करना पड़ता है, हर बार खर्च लगता है. जिससे किसानी की लागत का मुनाफा पर असर पड़ता है. वहीं किसान नारायण दास ने जिस जमीन पर पहले टमाटर लगाया था, उसी बेड पर बिना किसी अन्य खर्च के नेनुआ लगाया है. जिससे उनका अतिरिक्त खर्च बच गया और अब बंपर उत्पादन का फायदा मिल रहा है. वे बताते हैं कि नेनुआ के पौधे का थैला लगाने के एक महीने के बाद उत्पादन शुरू हो गया. आज प्रति एक दिन के अंतराल पर लगभग ढाई क्विंटल नेनुआ का उत्पादन हो रहा है.
खेत एवं मंडी में बेचते हैं नेनुआ
उन्होंने बताया कि खेत में बंपर उत्पादन हो रहे नेनुआ को वे स्वयं अपने बेटों के साथ तोड़कर पैक करते हैं और स्थानीय मंडी में जाकर बेचते हैं. वही दूसरी ओर, कभी-कभी व्यापारी को खेत से ही बेचते हैं. वे कहते हैं कि खेत से बेचने पर 18 रुपया तक ही रेट मिलता है, वहीं मंडी में स्वयं जाकर बेचने पर 22 से 25 रुपए तक रेट मिलता है.
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FIRST PUBLISHED : September 01, 2023, 20:44 IST