रामकुमार नायक/रायपुर. छत्तीसगढ़ हमेशा अपनी संस्कृति के नाम से जाना जाता है. यहां का रहन-सहन और खान-पान सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं अन्य राज्यों के लोगों को भी भली भांति परिचित हैं. छत्तीसगढ़ का नाम लेने से यहां का पनपुरुवा का नाम लोगों की जुबान पर जरूर आता है. छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में इस पनपुरुवा या अंगाकर रोटी को बड़े ही चाव के साथ लोग खाते हैं. खासकर सुबह के नाश्ता में छत्तीसगढ़िया लोग पनपुरुवा या चीला रोटी जरूर खाते हैं. कहते हैं कि इसे खाने से जल्दी भूख नहीं लगती और शरीर में तंदुरुस्ती रहती है.
अगर आप भी गांव वाले पनपुरुवा और चीला का स्वाद शहर में यानी राजधानी रायपुर में लेना चाहते हैं, तो रायपुर के गोल चौक इलाके में स्थित छत्तीसगढ़िया कलेवा दुकान पर आ सकते हैं. यहां आपको देशी स्टाइल में तैयार हुआ चीला और पनपुरुवा खाने मिल जाएगा, पनपुरुवा की कीमत मात्र 25 रुपए है. जिसमें रोटी के चार भाग हिस्से का एक भाग मिलता है. साथ में स्पेशल टमाटर, मिर्ची और धनियां की चटनी दी जाती है. चीला का प्राइस 25 रुपए है.
इतने प्रकार की रोटी उपलब्ध
छत्तीसगढ़िया कलेवा के संचालक डमरूधर नायक ने बताया कि वे महासमुंद जिले के सरायपाली स्थित केना गांव के रहने वाले हैं. राजधानी रायपुर में छत्तीसगढ़िया कलेवा नाम से दुकान लगाते हैं. जैसा की दुकान नाम से स्पष्ट है, कि यहां का स्पेशियलिटी छत्तीसगढ़ का ट्रेडिशनल व्यंजन है. जिसमें मुख्य रूप से अंगाकर रोटी है, ग्रामीण इलाकों में इसे पनपुरुवा, अंगाकर, आग रोटी, डौका रोटी या मोटा भी कहते हैं. छत्तीसगढ़ के अलग-अलग क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है.
छत्तीसगढ़ का परपुरुवा फेमस
इसके अलावा यहां चीला, फरा भी बनाया जाता है. छत्तीसगढ़ में पहले बुजुर्ग बताते है कि अगहन, मास पूस, चीला खाव खूब यानी इस महीने में चीला और अंगाकर रोटी खाने से पाचन क्रिया सही रहती है. ग्रामीण इलाके के इस आइटम की राजधानी में भरपूर डिमांड है. दरअसल, छत्तीसगढ़ के गांवों के अधिकांश वर्ग के लोग राजधानी में रहते हैं. उन्हें कहीं न कहीं घर का बना पनपुरुवा, चीला खाने के लिए घर की याद आती है. ऐसे में इस स्थान पर घर जैसा स्वाद के साथ चीला, पनपुरुवा और मिर्ची, टमाटर, धनियां की सील बट्टे से पिसी हुई चटनी का स्वाद भी गजब का रहता है. स्वाद के शौकीनों की यहां लाइन लगती है.
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FIRST PUBLISHED : December 5, 2023, 20:02 IST