परमजीत कुमार/देवघर. छठ महापर्व में माता छठी और सूर्य भगवान की उपासना की जाती है. यह त्यौहार ही नहीं बल्कि इससे लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं. खासकर उत्तर भारत के लोग देश के किसी भी कोने में मौजूद रहें छठ पूजा में अपने-अपने घर जरूर पहुंचते हैं. चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर यानि आज से हो रही है. 20 नवंबर को पारन के साथ इसका समापन होगा. इस पर्व को बड़ी ही शारीरिक और मानसिक शुद्धता के साथ किया जाता है.
माना जाता है कि यह एक ऐसी पूजा है जिसमें भगवान प्रत्यक्ष रूप से मौजूद रहते हैं, लेकिन सभी के मन में एक सवाल जरूर आता है कि आखिर छठ पूजा की शुरुआत कैसे हुई सबसे पहले किसने यह व्रत रखा होगा?
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नन्दकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि छठ महापर्व का उल्लेख कई पुराणों में है. माता सीता के साथ, द्रोपदी ने भी छठ पूजा का व्रत रखा था. जो भी जातक छठ पूजा पुरे विधि विधान के साथ करता है उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है. वहीं अगर आप छठ महापर्व में ढलते सूर्य के साथ साथ अगर आप उगते सूर्य को भी अर्घ्य देते हैं, तो आप हमेशा निरोग रहेंगे. आपको कभी भी शारीरिक या मानसिक कष्ट नहीं होगा.
कहां से हुई छठ पूजा की शुरुआत
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि उत्तर भारत में छठ पूजा का प्रचलन इसलिए ज्यादा है क्योंकि छठ पूजा कि शुरुआत सबसे पहले बिहार के मुंगेर जिले में हुई. पौराणिक कथा के अनुसार जब राम जी रावण का वध करके अयोध्या वापस लौटे तो वशिष्ठ मुनि ने कहा कि आपको ब्रह्महत्या लग चुकी है. इससे छुटकारा पाने के लिए आपको माता सीता और लक्ष्मण के साथ गंगा किनारे स्थित मुद्गल ऋषि के आश्रम जाना होगा और भगवान सूर्य की अराधना करना होगा.
माता सीता के पैरों के निशान मौजूद
माता सीता ने अपने पति की दीर्घायु के लिए बिहार के मुंगेर जिला स्थित मुद्गल ऋषि आश्रम के समीप गंगा किनारे सबसे पहले छठ पूजा कर सूर्य भगवान की उपासना की थी. जहां अभी भी माता सीता के पैरों के निशान हैं. तभी से छठ महापर्व की शुरुआत हुई.
.
Tags: Bihar Chhath Puja, Chhath, Deoghar news, Dharma Aastha, Jharkhand news, Latest hindi news, Local18
FIRST PUBLISHED : November 17, 2023, 10:42 IST