सत्येंद्र जैन को मिली अंतरिम जमानत 24 नवंबर तक बरकरार रहेगी : सुप्रीम कोर्ट

सत्येंद्र जैन को मिली अंतरिम जमानत 24 नवंबर तक बरकरार रहेगी : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली:

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर सत्येंद्र जैन की नियमित जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने अंतरिम जमानत 24 नवंबर तक बरकरार रखने का आदेश दिया है. 24 नवंबर को जमानत पर अगली सुनवाई होगी. सत्येंद्र जैन की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि जैन को 2017 में CBI के मुकदमे में ज़मानत मिल गई थी. CBI केस में सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी नहीं हुई है.ED ने 30 अगस्त 2017 को ECIR दर्ज किया था. पांच साल तक ईडी ने सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार नहीं किया.

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जैन को ईडी ने 30 मई 2022 को गिरफ्तार किया था

जैन को ईडी ने 30 मई 2022 को गिरफ्तार किया था.उन्होंने  जांच में हमेशा सहयोग किया है.वो अब तक 7 बार जांच एजेंसी के सामने पेश हुए हैं.सत्येंद्र जैन के वकील ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि ईडी किसी को गिरफ़्तार नहीं कर सकती थी.लेकिन स्पष्ट कारण बताए बिना किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है.सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या वैभव और अंकुश जैन आपके बेटे हैं?सत्येंद्र जैन के वकील ने कहा कि नहीं! सिर्फ उनका सर नेम मेरे जैसा है.

“चार्जशीट में कही गई बातों को ईश्वरीय सत्य नहीं”

 सत्येंद्र जैन की ओर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि चार्जशीट में कही गई बातों को ईश्वरीय सत्य नहीं माना जा सकता हैं. उन्होंने कहा कि कहा कि चेक पीरियड से 5 साल पहले मेरी पत्नी ने 2008 में कंपनी के शेयर खरीदे थे. जांच एजेंसी का आरोप है कि कलकत्ता की कंपनियों ने इन 3 कंपनियों के शेयर खरीदकर पैसा वापस कर दिया. वैभव और अंकुश ने कलकत्ता की कंपनियों को इन शेयरों को खरीदने के लिए पैसा दिया, वह पैसा सत्येंद्र जैन का था.

“सत्येंद्र जैन या उनकी पत्नी को एक पैसा और एक शेयर भी नही मिला”

सत्येंद्र जैन के वकील ने कहा कि सत्येंद्र जैन निदेशक पद से हट गए थे. उनकी पत्नी पूनम एक कंपनी में निदेशक थी, कंपनी में उनकी हिस्सेदारी बहुत कम थी, इन कंपनियों से पैसा वैभव और अंकुश जैन के पास चला गया, सत्येंद्र जैन या उनकी पत्नी को एक पैसा और एक शेयर भी नही मिला. सत्येंद्र जैन के वकील ने कहा कि वैभव और अंकुश जैन कंपनी के 70-75% शेयरधारक और निदेशक भी थे, लेकिन ईडी के मुताबिक सत्येंद्र जैन हर चीज का लाभार्थी और नियंत्रक है.

सिंघवी ने कहा कि सत्येंद्र जैन की पत्नी पेशेवर आर्किटेक्ट है. उसकी आर्किटेक्ट फर्म है.राजनीति में आने से पहले मैं सपत्नीक  उसी फर्म के जरिए अच्छी खासी प्रैक्टिस कर रहे थे.हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इसे समझना काफी मुश्किल है.जैन की स्वतंत्रता का हनन हुआ है.ऐसी हालत में ही राहत के लिए नागरिक कोर्ट का रुख करते हैं. मैं जो बता रहा हूं वो मामूली शेयर होल्डिंग नहीं है. लेकिन ईडी और सीबीआई मामले को भटका रही हैं. ईडी  के आंकड़ों में तीन सौ फीसदी का अंतर है.

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