सड़क पर संग्राम! आज दिल्ली कूच करेंगे हजारों किसान, बॉर्डर पर पुलिस का पहरा सख्त.. सरकार ने फिर की अपील

चंडीगढ़: सरकार संग बार-बार बातचीत विफल होने के बाद अब किसान दिल्ली कूच करने को तैयार हैं. एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहे किसान आज यानी बुधवार से फिर दिल्ली कूच करेंगे, क्योंकि सरकार संग बातचीत की डेडलाइन खत्म हो चुकी है. सरकार के साथ बातचीत विफल होने के बाद किसान संगठनों ने सोमवार को ही इसका ऐलान कर दिया था. फिलहाल, हजारों किसान दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर दूर पंजाब-हरियाणा के बीच शंभू बॉर्डर पर डटे हैं और आज ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ दिल्ली की ओर रवाना होंगे. हालांकि, उन्हें रोकने के लिए प्रशासन की ओर से पूरी तैयारी है. हरियाणा में ही नहीं, दिल्ली की सीमाएं भी छावनी में बदली हैं. दिल्ली पुलिस ने किसान आंदोलन को लेकर चप्पे-चप्पे पर पहरेदारी कर रखी है. किसानों के आज बुधवार को दिल्ली मार्च के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने किसानों से शांति की अपील की है.

दरअसल, पंजाब के हजारों किसानों ने 13 फरवरी को दिल्ली चलो मार्च शुरू किया था. इस मार्च को फिलहाल हरियाणा-पंजाब के बॉर्डर पर ही रोक दिया गया है. पुलिस-सुरक्षाबलों की तरफ से ‘दिल्ली चलो’ मार्च को रोके जाने के बाद प्रदर्शनकारी किसान अभी पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर डटे हैं. सरकार का अनुमान है कि सीमा पर करीब 14 हजार किसान हैं. 13 फरवरी को जब किसानों ने दिल्ली मार्च शुरू किया था, तब पंजाब-हरियाणा के अलग-अलग बॉर्डरों पर प्रदर्शनकारी किसानों की पुलिस बलों के साथ झड़प हुई थी. सोमवार को ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन में भाग ले रहे किसान नेताओं ने सरकारी एजेंसियों द्वारा पांच साल तक ‘दाल, मक्का और कपास’ की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किए जाने के केंद्र के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा था कि यह किसानों के हित में नहीं है और उन्होंने आज बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी कूच करने की घोषणा की.

केंद्रीय मंत्रियों ने की थी बात
किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने हरियाणा से लगे पंजाब के शंभू बॉर्डर पर संवाददाताओं से कहा, ‘हम सरकार से अपील करते हैं कि या तो हमारे मुद्दों का समाधान किया जाए या अवरोधक हटाकर हमें शांतिपूर्वक विरोध-प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली जाने की अनुमति दी जाए.’ किसानों के साथ वार्ता के बाद तीन केंद्रीय मंत्रियों की एक समिति ने दाल, मक्का और कपास सरकारी एजेंसियों द्वारा एमएसपी पर खरीदने के लिए पांच वर्षीय समझौते का प्रस्ताव दिया था. तीन केंद्रीय मंत्रियों – पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय की समिति ने रविवार को चंडीगढ़ में चौथे दौर की वार्ता के दौरान किसानों के समक्ष यह प्रस्ताव रखा था.

किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को किया था खारिज
इससे पहले 2020-21 में किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सरकार के प्रस्ताव को सोमवार को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इसमें किसानों की एमएसपी की मांग को ‘भटकाने और कमजोर करने’’ की कोशिश की गई है और वे स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में अनुशंसित एमएसपी के लिए ‘सी -2 प्लस 50 प्रतिशत’ फूर्मला से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे. इसके बाद शाम को किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा, ‘‘हमारे दो मंचों पर (केंद्र के प्रस्ताव पर) चर्चा करने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि केंद्र का प्रस्ताव किसानों के हित में नहीं है और हम इस प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं.’

आज 11 बजे दिल्ली कूच करेंगे किसान
यह पूछे जाने पर कि क्या ‘दिल्ली मार्च’ का उनका आह्वान अभी भी बरकरार है, पंधेर ने कहा कि हम 21 फरवरी को सुबह 11 बजे दिल्ली के लिए शांतिपूर्वक कूच करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को अब निर्णय लेना चाहिए और उन्हें लगता है कि आगे चर्चा की कोई जरूरत नहीं है. यह पूछे जाने पर कि क्या वे एसकेएम के साथ हाथ मिलाएंगे पंधेर ने कहा कि अगर कोई आंदोलन में शामिल होना चाहता है, तो उन्हें किसानों और खेत मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ने का खुला निमंत्रण है. यह पूछे जाने पर कि यदि आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है तो किसान नेता आगे क्या कदम उठाएंगे, डल्लेवाल ने कहा कि हम फिर बैठकर चर्चा करेंगे कि आंदोलन को कैसे आकार दिया जाए.

सड़क पर फिर संग्राम! आज दिल्ली कूच करेंगे हजारों किसान, बॉर्डर पर पुलिस का पहरा सख्त... सरकार ने की यह अपील


अदालत ने भी परमिशन नहीं देने को कहा

किसान राष्ट्रीय राजधानी से अब भी 200 किलोमीटर से अधिक दूरी पर हैं, लेकिन दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को यह सुनिश्चित करने के लिए अभ्यास किया कि राष्ट्रीय राजधानी में उन्हें प्रवेश करने से रोकने के लिए लगाये गए अवरोधकों को पार नहीं किया जा सके. हजारों किसानों ने 13 फरवरी को दिल्ली की ओर मार्च शुरू किया था. इन किसानों को हरियाणा सीमा पर ही रोक दिया गया था, जहां उनकी सुरक्षाकर्मियों से झड़प हुई थी. किसान तब से हरियाणा के साथ लगती पंजाब की सीमा पर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पंजाब सरकार से मौखिक रूप से कहा कि वह कृषकों को बड़ी संख्या में इकट्ठा होने की अनुमति न दे. अदालत ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार ट्रैक्टर-ट्रॉली राजमार्गों पर नहीं चलाई जा सकतीं.  उसने कहा कि किसान बस या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करके दिल्ली जा सकते हैं.

क्या हैं किसानों की मांगें
फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के वास्ते किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च को सुरक्षा बलों द्वारा रोक दिए जाने के बाद प्रदर्शनकारी किसान हरियाणा-पंजाब की सीमा पर स्थित शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. पिछले सप्ताह किसानों की सुरक्षा बलों के साथ झड़पें हुई थीं. किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी के अलावा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस मामलों को वापस लेने , 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 बहाल करने और 2020-21 के आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं.

Tags: Farmer Protest, Farmers Protest, Kisan Andolan, Punjab Farmers Protest

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