सच या अंधविश्वास! इस तालाब से निकलते थे चांदी के बर्तन, फिर हुआ कुछ ऐसा….

आदित्य आनंद/गोड्डा. गोड्डा का बसंतराय तालाब जिले के साथ-साथ राज्य भर में प्रसिद्ध है. इस तालाब में झारखंड के विस्वा त्यौहार में देश के अलग-अलग कोने से श्रद्धालू स्नान करने के लिए पहुंचते हैं. यहां भक्तों की मान्यता है कि इस तालाब में स्नान करने से हर प्रकार का शारीरिक रोग व चर्म रोग दूर हो जाता है. इसके साथ इस तालाब की एक और भी मानता है जो काफी प्रसिद्ध है लोगों की माने तो इस तालाब में आज भी कई रहस्य दफन है. बसंत राय के लोग बताते हैं कि प्राचीन काल में इस चमत्कारी तालाब से शादी, यज्ञ, उपनयन, श्राद कार्यकर्म के लिए बर्तन वरदान स्वरुप मिलता था. इस बर्तन के उपयोग के बाद इसे पुनः तालाब में डाल दिया जाता था.

बसंतराय की अरुण मिश्रा उर्फ पाल मिश्रा ने कहा कि तकरीबन चार सौ वर्ष पहले जब बसंत राय अंग प्रदेश के अंतर्गत आता था. इस तालाब से आसपास के कई इलाकों से 20 से 25 की संख्या में लोग इस तालाब में पर्ची लिख कर विधि विधान के साथ देते थे. अपने घर के किसी भी कार्यक्रम के लिए इस तालाब से मनचाहे बर्तन की प्रार्थना करते थे. इसके बाद उन्हें बर्तन की प्राप्ति होती थी. कार्यक्रम के बाद उसे उसी तालाब में लाकर डाल दिया जाता था. जिससे गरीब तबके के लोगों के लिए या फिर किसी बड़े कार्यक्रम के लिए लोगों को इस तालाब से जितने चाहे उतने बर्तन मिल जाते थे.

कैसे मिट गया यह चमत्कार
स्थानीय पाल मिश्रा ने बताया कि वर्षो पहले किसी परिवार द्वारा अपने घर के शादी कार्यक्रम के लिए इस तालाब में बर्तन की प्रार्थना करने के लिए पहुंचे. उन्होंने तालाब से आराधना कर बर्तन की मांग की और 24 घंटे आराधना करने के बाद उन्हें बर्तन की प्राप्ति हुई. लेकिन, उन्होंने फिर दोबारा कभी बर्तन लालच से नहीं लौटाया. इसके बाद इस तालाब से बर्तन निकालना बंद हो गया. यह चमत्कार समाप्त हो गया.

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