Gautam Adani on Hindenburg: अडानी समूह पर अमेरिकी शार्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग के हमले को 1 साल बीत चुके हैं. इस हमले ने अडानी समूह में तूफान लाने के साथ-साथ सड़क से लेकर संसद तक हंगामा मचा दिया. इस हमले के एक साल बीत जाने के बाद अब गौतम अडानी ने खुलकर बात की है. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया में अपने एक लेख के जरिए हिंडनबर्ग के हमले से लेकर उससे बाहर निकलने तक के पूरे सफर का जिक्र किया है.
गौतम अडानी ने लिखा कि ठीक एक साल पहले 25 जनवरी 2023 को नाश्ते के दौरान उन्हें खबर मिली कि न्यूयॉर्क के एक शॉर्ट-सेलर ने उनकी कंपनी के खिलाफ आरोपों का एक पुलिंदा ऑनलाइन जारी किया है. जिसे उससे शोध रिपोर्ट का नाम दिया. अडानी के मुताबिक उस रिपोर्ट में वहीं बातें थी, जो उने विरोधी उनके खिलाफ मीडिया में इस्तेमाल करते रहे हैं. अडानी ने लिखा कि उनके खिलाफ इस तरह के झूठे और निराधार रिपोर्ट कोई नई बात नहीं थी, इसलिए हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद एक विस्तृत जवाब जारी करने के बाद मैंने उसके बारे में तभी कुछ नहीं सोचा.
झूठ की शक्ति पर एक सबक
गौतम अडानी ने अपने लेख में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि जैसा ही कहावत है कि- सच जब जूते पहन रहा होता है, झूठ पूरी दुनिया घूम लेता है. वैसा ही कुछ इस केस में भी देखा गया. सच्चाई की शक्ति पर पले-बढ़े मेरे लिए हिंडनबर्ग का हमला झूठ की शक्ति का एक सबक था. मेरे लिए हमला दोहरा था, एक ओर वित्तीय और दूसरा राजनीतिक. अडानी ने लिखा कि हिंडनबर्ग के झूठ को इतनी तेजी और तीखे तरीके से फैलाया गया कि हमारे पोर्टफोलियो के मार्केट कैप में काफी कमी आई.
छोटे निवेशकों के लिए दर्द
इस हमले के बाद सबसे ज्यादा दर्द इस बात का था कि हजारों छोटे निवेशकों ने अपनी बचत खो दी. अडानी ने लिखा कि अगर मेरे विरोधियों की योजना पूरी तरह से हकीकत में बदल जाती तो यह देश के लिए विनाशकारी होता. अडानी ने लिखा कि मुझपर किया गया ये हमला पूरी तरह से सफल हो जाता तो देश की कई जरूरी बुनियादी ढांचे, बंदरगाह, हवाई अड्डे और बिजली सप्लाई चेन पंगु हो जाते. लेकिन कंपनी के मजबूत एसेट्स, मजबूत कामकाज और हाई क्वालिटी डिस्क्लोजर के कारण हमारे निवेशकों, बैकों और फर्म ने हमला साथ नहीं छोड़ा. निवेशकों के इस भरोसे से हमे ताकत मिली और इस हमले से बाहर निकलने की हिम्मत.
कैसे निपटे हिंडनबर्ग की आंधी से
अडानी ने लिखा कि हिंडनबर्ग की से निपटने के लिए उन्होंने कोई रोडमैप नहीं तैयार किया. बस अपने कारोबार में विश्वास रखा. इस हमले में सबसे बड़ी चिंता निवेशकों की थी, जिसकी रक्षा करने के लिए 20000 करोड़ रुपये के FPO को कैंसिल कर दिया. हिंडनबर्ग की झूठ की लड़ाई में अडानी ने नकदी को सबसे बड़ा हथियार बनाया. गौतम अडानी ने लिखा कि कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर हमले उन्होंने पहले से मौजूद 30000 करोड़ के अलावा 40,000 करोड़ रुपये और जुटाए. मुश्किल दौर में जीक्यूजी पार्टनर्स और क्यूआईए जैसे कई नामी निवेशकों ने हमारा साथ दिया. नकदी के दम पर उन्होंने बाजार का भरोसा दोबारा हासिल किया.
समय से पहले कर्ज चुकाया
निवेशकों को भरोसा मजबूत करने के लिए 17500 करोड़ रुपये के लोन का समय से पहले भुगतान कर अडानी ने अपने पोर्टफोलियो को बाजार के उतार-चढ़ाव से अलग कर लिया. हिंडनबर्ग के झूठ के कारण जो विश्वास हिला था, उसे मजबूती देने के लिए अडानी समूह ने वित्तीय और गैर-वित्तीय हितधारकों के साथ व्यापक जुड़ाव का कार्यक्रम चलाया. करीब 150 दिनों में दुनिया भर में लगभग 300 मीटिंग की. नौ रेटिंग एजेंसियों ने अडानी की 104 कंपनियों की रेटिंग की पुष्टि की है. गौतम अडानी ने लिखा कि उन्होंने हमेशा अपना पक्ष रखने पर फोकस रखा.
कमजोरी को उजागर किया
अडानी ने लिखा कि हिंडनबर्ग के हमले ने हमारी एक बुनियादी कमजोरी को उजागर किया जिसपर हमारा ध्यान नहीं था. उन्होंने लिखा कि इस हमले के बाद उन्होंने महसूस किया कि उन्होंने कम्यूनिकेशन सिस्टम पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया था. हिंडनबर्ग के हमले से पिछले एक साल की अग्निपरीक्षा ने हमें मूल्यवान सबक सिखाया और हमे मजबूत बनाया है.