सकट चतुर्थी की पूजा में क्यों लगता है भगवान गणेश को तिलकुट का भोग? जानें मान्यता  

इंदौर/राधिका कोडवानी: 29 जनवरी को सकट चतुर्थी का पर्व है. माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को वक्रतुंडी चतुर्थी, माही चौथ, तिल या तिलकूट चतुर्थी भी कहते हैं. माना जाता है कि चतुर्थी के दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा से सभी कष्ट दूर होते हैं. वहीं मनोकामना भी पूरी होती हैं. इस दिन भगवान गणेशजी को तिल के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है. शास्त्रों के मुताबिक, प्राथ पूज्य विघ्न-विनाशक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है.

ऐसे करें गणपति पूजा
पुराणों में सकट चतुर्थी का खास महत्व है. भगवान गणेश की अर्चना के साथ चंद्रोदय के समय अर्घ्य देने का विधान है. महिलाओं के लिए इस व्रत को खास माना गया है. इंदौर के प्राचीन खजराना गणेश मंदिर के पंडित विनीत भट्ट के मुताबिक, मंगलमूर्ति भगवान गणेश को पंचामृत से स्नान के बाद फल, लाल फूल, अक्षत, रोली, मोली अर्पित करना चाहिए. सकट चतुर्थी को तिलकुटा चतुर्थी भी कहा जाता है, इसलिए तिल से बनी वस्तुएं अथवा तिल-गुड़ से बने लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए. गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ अवश्य करना चाहिए.

साल भर में 4 बड़ी सकट चतुर्थी
पंडित विनीत भट्ट कहते हैं कि शास्त्रों के मुताबिक 12 महीनों की 12 सकट चतुर्थी का अपना महत्व है, लेकिन चार बड़ी सकट चतुर्थी होती है. इनमें माघ मास की तिलकुट चतुर्थी भी है. गणेश पुराण के मुताबिक, भगवान गणेश का जन्म भी सकट चतुर्थी पर हुआ था, इसलिए तिलकुटा चतुर्थी पर काशी में गणेश उत्सव भी मनाया जाता है. इस मौके पर गणेश जी को तिल और गुड़ से बनी वस्तुओं का भोग और चंद्रमा को अर्घ्य लगाया जाता है. सकट चतुर्थी पर चंद्र अर्घ्य के पीछे सुख व शांति की ऐसी ही कामनाएं व भावनाएं जुड़ी हैं.

पूजा का शुभ मुहूर्त
सकट चौथ के दिन सुबह 7 से 8: 32 बजे तक अमृत मुहूर्त है. वहीं सुबह 9: 43 से सुबह 11: 14 तक शुभ मुहूर्त है. चंद्रोदय रात 9 बजकर 10 मिनट पर होगा.

तिलकुट या तिल गुड़ का महत्व
सकट चतुर्थी पर गणपति बप्पा को भोग के रूप में तिल और तिल से बनी चीजों का प्रसाद चढ़ाते हैं. सकट चौथ को लेकर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग मान्यताएं हैं. कथा के अनुसार, माघ मास में तिल का विशेष महत्व है और भगवान गणेश को भी तिलकुटा या तिल के लड्डू बेहद प्रिय हैं. व्रत करने वाली महिलाएं भगवान गणेश के लिए गुड़ और तिल से तिलकुट बनाकर भोग लगाती हैं, जिससे भगवान व्रती से प्रसन्न होकर गरीबी और संकटों को दूर करते हैं. इसलिए इस दिन विशेषतौर पर तिलकुटा प्रसाद के रूप में गणपति को चढ़ाने की मान्यता है.

ठंड में तिल का सेवन जरूरी
धर्म को वैज्ञानिक दृष्टि से जोड़कर देखा जाए तो तिलकुट में तिल होता है और तासीर गर्म होती है. ठंड में तिल खाने से लोगों में मौसमी संक्रमण का असर कम होता है. आयुर्वेद की दवा में भी तिल का इस्तेमाल होता है. शरीर को तिल-गुड़ से स्वस्थ और ऊर्जावान जिंदगी मिलती हैं.

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