नई दिल्ली :
सऊदी अरब ही वो देश है, जहां पर इस्लाम की सबसे पवित्र माने जाने वाली दो जगहें मक्का और मदीना मौजूद हैं। सऊदी किंग इन मस्जिदों के संरक्षक भी हैं। इस वजरमजान का पवित्र महीना शुरू होने से पहले ही सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद ने एक ऐसा आदेश दिया है जो हैरान करने वाला है। एमबीएस के नाम से मशहूर क्राउन प्रिंस ने सऊदी अरब की मस्जिदों में इफ्तार पार्टियों का आयोजन करने पर रोक लगा दी है। सऊदी अरब खुद को अघोषित तौर पर खुद को इस्लाम के अगुवा के तौर पर पेश करता है। अब वहीं के क्राउन प्रिंस ने देश की मस्जिदों में इफ्तार पार्टियों को प्रतिबंधित कर दिया है। हालांकि ये पहली बार नहीं है जब मोहम्मद बिन सलमान ने इस तरह का आदेश दिया है। दरअसल क्राउन प्रिंस सऊदी अरब को एक रुढ़िवादी मुस्लिम देश से माडरेट इस्लामिक मुल्क की ओर ले जाना चाहते हैं। आइए देखते हैं कि कट्टर वहाबी आंदोलन से निकला सऊदी अरब किस तरह मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में मॉडरेट इस्लाम की ओर बढ़ रहा है।
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कभी रुढ़िवादी इस्लाम के लिए जाना जाता था सऊदी अरब
अल सऊद परिवार ने जब ऑटोमन साम्राज्य से निकलकर आजाद देश की स्थापना की उसके बाद से ही इसकी पहचान एक कट्टर इस्लामिक मुल्क के रूप में बनाए रखने पर जोर दिया। देश में कड़े इस्लामिक कानून लागू किए गए। चोरी करने पर हाथ-पैर काटना और सार्वजनिक सजा-ए-मौत दी जाने लगी। 1979 में पड़ोसी देश ईरान में क्रांति और कट्टरपंथी शिया हुकूमत आने के बाद सऊदी अरब दूसरे इस्लामिक देशों में कट्टर वहाबी आंदोलन को वैचारिक समर्थन मुहैया कराने के साथ ही फंडिंग भी उपलब्ध कराने लगा।
बदलेगी देश की सूरत
तेल से आ रहे पैसे ने सऊदी राजशाही की इस मंशा को आगे बढ़ाने में खूब मदद की, लेकिन साल 2001 में अमेरिका के न्यूयार्क में 9/11 को हुए हमले के बाद दुनिया में कट्टर इस्लाम को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया हुई। यही वो समय था जब सऊदी राजशाही में परिवर्तन हुआ और सलमान अब्दुल बिन अजीज सऊदी के किंग बने और उनके बेटे मोहम्मद बिन सलमान क्राउन प्रिंस बने। मोहम्मद बिन सलमान ने धीरे-धीरे सत्ता पर अपनी पकड़ बनानी शुरू की और फिर देश में ऐसे सुधार शुरू किए जो कभी सऊदी अरब में सोचे भी नहीं जा सकते थे।