संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर बैठक खत्म हो गई है। यह बैठक पार्लियामेंट लाइब्रेरी बिल्डिंग में चल रही थी। शीतकालीन सत्र 4 दिसंबर से शुरू होकर 22 दिसंबर तक चलेगा। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी नेता प्रह्लाद जोशी ने कहा कि बैठक में 23 दलों के 30 नेताओं ने भाग लिया। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि संसद का शीतकालीन सत्र 4 दिसंबर से शुरू होगा और इसमें 15 बैठकें होंगी। उन्होंने आगे कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर एक संरचित बहस में चर्चा के लिए तैयार है।
सरकार का पक्ष
अपने बयान में प्रह्लाद जोशी ने कहा कि 4 दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होगा। 15 बैठकें होनी हैं। हमने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। बैठक में 23 पार्टियां और 30 नेता शामिल हुए। उन्होंने कहा कि शून्यकाल नियमित रूप से होता रहा है। हमने अनुरोध किया कि संरचित बहस के लिए माहौल बनाए रखा जाना चाहिए। चर्चा नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए होनी चाहिए। सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है। सरकार संरचित बहस के लिए पूरी तरह से तैयार है।
विपक्ष ने क्या कहा
समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ. एसटी हसन ने कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। संसद के शीतकालीन सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक के बाद रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि सदन में बेरोजगारी, महंगाई, इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष पर चर्चा होनी है और अधिकांश सदस्यों ने भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता के साथ-साथ भारतीय साक्ष्य अधिनियम को नए नाम देकर आपराधिक कानूनों में हिंदी को लागू करने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि जहां तक दक्षिण भारतीय राज्यों के लोगों का सवाल है, इसका उच्चारण करना और भी मुश्किल है… सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। मुझे उम्मीद है कि सदन बिना किसी व्यवधान के चलेगा।
4 दिसंबर से शीतकालीन सत्र
मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के एक दिन बाद संसद का शीतकालीन सत्र 4 दिसंबर (सोमवार) को शुरू होने वाला है। जैसे-जैसे लोकसभा 2024 के चुनावों की गति बढ़ती जा रही है, 3 दिसंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजों को अगले आम चुनावों की भविष्यवाणी के रूप में देखा जा रहा है। इसके आलोक में, केंद्र इस कार्यकाल में संसद के अपने आखिरी शीतकालीन सत्र के लिए पूरी तरह तैयार है। कुछ प्रमुख विधेयक पाइपलाइन में हैं जिन्हें नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार इस आगामी सत्र में मंजूरी देना चाहेगी।