संसद के विशेष सत्र की क्या है विशेष वजह? विपक्ष ने इसकी टाइमिंग पर उठाए सवाल

संसद के विशेष सत्र का ऐलान करते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा, “संसद का विशेष सत्र (17वीं लोकसभा का 13वां सत्र और राज्यसभा का 261वां सत्र) आगामी 18 से 22 सितंबर के दौरान होगा. जिसमें पांच बैठकें होंगी. अमृतकाल के दौरान होने वाले इस सत्र में संसद में सार्थक चर्चा और बहस होने को लेकर आशान्वित हूं “

20 जुलाई से शुरू होकर 11 अगस्त तक चला था संसद का मॉनसून सत्र

इससे पहले संसद का मॉनसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होकर 11 अगस्त तक चला था. मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष के विरोध के बाद कई बार सत्र बिना कामकाज के स्थगित करना पड़ा था. इस सत्र में विपक्ष सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया, जो गिर गया.

लोकसभा अपने तय समय से 43 फीसदी ही कर पाई काम

संसद के मॉनसून सत्र में विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा अपने तय समय में से केवल 43 प्रतिशत ही काम कर सकी. जबकि राज्यसभा में तय समय में से केवल 55 प्रतिशत ही काम कर पाई. मॉनसून सत्र में सरकार ने 23 बिल पारित कराए थे.

विपक्ष के हंगामे के दौरान ही ये बिल पारित हुए थे. इनमें से दो बिल बिना चर्चा के केवल 2 मिनट में पारित कर दिए गए थे. 17वीं लोकसभा का कार्यकाल अब अंतिम पड़ाव पर है, लेकिन डिप्टी स्पीकर का चुनाव अभी तक नहीं हो पाया है.

लग रही हैं तमाम अटकलें

-संसद के विशेष सत्र बुलाने के ऐलान की टाइमिंग पर भी सवाल उठ रहे हैं. 

-ऐसी अटकलें हैं कि इसकी घोषणा गुरुवार (31 अगस्त) को हुई, ताकि मुंबई में विपक्षी गठबंधन INDIA की बैठक से ध्यान हटाया जा सके. 

-विशेष सत्र का एजेंडा नहीं बताया गया, ताकि उसके लिए कयासों का दौर शुरू हो सके. 

-हो सकता है कि सत्र संसद की पुरानी बिल्डिंग में शुरू हो और नए में खत्म हो. इस तरह नई संसद में कामकाज शुरू किया जा सकता है.

– यह संयुक्त सत्र नहीं होगा. इस दौरान अमृत काल की उपलब्धियों पर चर्चा हो सकती है.

– संसद के विशेष सत्र में चंद्रयान-3 मिशन की सफलता और जी-20 बैठक का सफल आयोजन पर चर्चा शामिल हो सकता है.

– इस दौरान महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का बिल भी लाया जा सकता है.

विशेष सत्र में लाए जा सकते हैं कई अहम बिल

ऐसी अटकलें भी हैं कि संसद के विशेष सत्र में पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने का बिल लाया जा सकता है. पीएम मोदी कई मौकों पर एक देश एक चुनाव की वकालत कर चुके हैं. हालांकि, जानकारों के मुताबिक फिलहाल ये मुमकिन नहीं है.

वन नेशन वन इलेक्शन की क्या हैं दिक्कतें?

– इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा.

– लोकसभा का कार्यकाल बढ़ाने या तय समय से पहले खत्म करना होगा.

– कुछ विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाना होगा.

– कुछ विधानसभा का कार्यकाल समय से पहले खत्म करना होगा.

– इसके लिए सभी दलों में आम राय जरूरी है.

– पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनाव एक साथ नहीं हो सकते. वे राज्य के विषय हैं. 

– वैसे चुनाव आयोग कह चुका है कि वह इसके लिए तैयार है.

क्या कहते हैं जानकार?

इस पूरे मामले पर NDTV ने देश के वरिष्ठ पत्रकार संजय सिंह से बात की. संजय सिंह ने कहा, “विपक्ष को खुशफहमी है कि सरकार ने INDIA गठबंधन की तीसरी बैठक से लोगों का ध्यान हटाने के लिए संसद के विशेष सत्र की तारीख का ऐलान किया है. ऐसी खुशफहमी रखने का हक सबको है. लेकिन ये वास्तविक नहीं है. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने अपने पोस्ट में साफ कहा है कि अमृतकाल के दौरान होने वाले इस सत्र में संसद में सार्थक चर्चा होगी. इसके एजेंडे में बेशक चंद्रयान-3 की सफलता और जी-20 का समिट का आयोजन हो सकता है.”

वहीं, शेखर अय्यर ने NDTV से बातचीत में कहा, “संसद के विशेष सत्र का एजेंडा जी-20 से भी जुड़ा हुआ है. जी-20 समिट के ठीक एक हफ्ते बाद संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है. पीएम मोदी कई बार कह चुके हैं कि जी-20 की अध्यक्षता करना भारत में विकास का एक उदाहरण है. विश्वभर में भारत को जो सम्मान मिल रहा है, उसपर भी चर्चा हो सकती है. पीएम मोदी अपने सरकार की उपलब्धियों को संसद के सामने रख सकते हैं.”

इससे पहले कब-कब बुलाया गया संसद का विशेष सत्र?

सामान्य तौर पर संसद के साल में तीन सत्र होते हैं. लेकिन कई खास मौकों पर विशेष सत्र भी बुलाए जाते हैं. इससे पहले भी कई मौकों पर संसद के विशेष सत्र या बैठकें हो चुकी हैं:-

– 30 जून 2017 को  जीएसटी के शुभारंभ के लिए आधी रात को लोकसभा और राज्यसभा की साझा बैठक हुई.

– अगस्त 1997 में आजादी के 50 वर्ष के अवसर पर छह दिनों का विशेष सत्र हुआ था.

-9 अगस्त 1992 को भारत छोड़ो आंदोलन के 50 वर्ष पूरे होने पर मध्य रात्रि का सत्र हुआ.

– अगस्त 1972 में आजादी की रजत जयंती पर पहली बार विशेष सत्र का आयोजन हुआ.

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