गोरखपुरएक मिनट पहले
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“संवैधानिक नैतिकता स्वयं में ही संविधान में समाहित है। शासन व्यवस्था की सभी शक्तियों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष स्रोत संविधान ही है। संवैधानिक नैतिकता, संवैधानिकता की ही एक प्रजाति है। संवैधानिक नैतिकता एवं सामाजिक नैतिकता में टकराव होने पर संवैधानिक नैतिकता अधिभावी होती है। न्यायाधीश, अधिवक्ता और लॉ स्टूडेंट्स संविधान के सजग प्रहरी होते हैं।” ये बातें उच्च न्यायालय इलाहाबाद के न्यायाधीश राम मनोहर नारायण मिश्र ने कहीं।
वह रविवार को लॉ डिपार्टमेंट की ओर से आयोजित “संविधान दिवस”