नई दिल्ली. सरकार और किसानों में तनावपूर्ण गतिरोध के बीच संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने पुराने एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर तीन प्रकार की दालें, मक्का और कपास खरीदने के लिए पांच साल के अनुबंध को खारिज कर दिया है. हालांकि, किसान यूनियनों का एक छत्र संगठन एसकेएम इस दौर के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वालों किसान संगठनों से सीधे तौर पर नहीं जुड़ा है.
एसकेएम ने सोमवार शाम को केंद्र के प्रस्ताव को “किसानों की मुख्य मांगों को भटकाने वाला” बताते हुए इसकी आलोचना की और 2014 के आम चुनाव से पहले भाजपा के घोषणापत्र में किए गए वादे के अनुसार गारंटीशुदा खरीद के साथ “सभी फसलों (उपरोक्त पांच सहित 23) की खरीद से कम कुछ भी नहीं” पर जोर दिया.
एनडीटीवी के मुताबिक, एसकेएम ने जोर देकर कहा कि यह खरीद स्वामीनाथन आयोग के सी2+50 प्रतिशत एमएसपी या न्यूनतम समर्थन मूल्य फॉर्मूले पर आधारित होनी चाहिए, न कि मौजूदा ए2+एफएल+50 प्रतिशत पद्धति पर.
एसकेएम ने अब तक हुई चार दौर की वार्ताओं में पारदर्शिता की कमी के लिए सरकार की भी आलोचना की – जिसका नेतृत्व इस मामले में कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा सहित तीन केंद्रीय मंत्रियों ने किया. और अंत में, एसकेएम ने सरकार से अन्य मांगों पर भी बात बढ़ाने की मांग की है, जिसमें ऋण माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं और 2020/21 के विरोध प्रदर्शन के दौरान दर्ज किए गए पुलिस मामलों को वापस लेना शामिल है.
एसकेएम ने कहा कि व्यापक सार्वजनिक क्षेत्र की फसल बीमा योजना और 60 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को 10,000 रुपये की मासिक पेंशन जैसी मांगों पर भी कोई प्रगति नहीं हुई है. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत के मामले में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी पर मुकदमा चलाने की मांग का भी समाधान नहीं हुआ है.
संयुक्त किसान मोर्चा इन विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाला किसान संगठन नहीं है, जिसकी अगुवाई इसी नाम की एक गैर-राजनीतिक शाखा कर रही है. फिर भी, किसान यूनियनों के एक बड़े संघ के रूप में, यह उन किसानों को प्रभावित कर सकता है जिन्होंने सरकार के साथ रविवार की बैठक में भाग लिया था.
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FIRST PUBLISHED : February 19, 2024, 20:02 IST