संतान प्राप्ति के लिए अनूठा पर्व है हलषष्ठी, व्रत में इन चीजों उपयोग माना जाता है वर्जित

अर्पित बड़कुल/दमोह : हर साल भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाने वाला व्रत माताएं अपने पुत्र की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए हल षष्ठी व्रत रखती हैं. यदि आप निसंतान हैं और पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखती हैं तो लोक परंपरा के अनुसार इस दिन एक खास पौधे में गांठ लगाने से पुत्र रत्न की प्राप्ति हो सकती है.

वहीं हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हल षष्ठी रखा जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को बलराम जयंती भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन हल की जोती हुई चीजों का सेवन नहीं किया जाता है, यह भी कह सकते हैं कि इस दिन खेत में पैदा की हुई चाजों का सेवन व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए निषेध माना जाता है.

महिला संध्या ठाकुर ने बताया कि वह बीते 15 सालों से संतान की लंबी आयु के हलषष्ठी का व्रत करती आ रही हैं. इस दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है साथ ही इस पूजन में लगने वाले सभी व्यंजनों को भैंस के दूध से ही तैयार किया जाता है और जिसका भोग स्वंयम्भू को अर्पित किया जाता है.

हल षष्ठी व्रत में उपयोग होता है भैस का दूध

इस व्रत में गाय के दूध का उपयोग नहीं किया जाता है. गौ माता हमारे हिन्दू धर्म में पूजनीय है. चूंकि इस व्रत में खेतों में हल से जोती चीजों का उपयोग वर्जित है. हल के लिए बैल का उपयोग किया जाता है. इसलिए इस व्रत में भैंस के दूध का सेवन किया जाता है.

हल षष्ठी के व्रत को लेकर जुड़ी हुई कथा

पंडित राहुल पाठक ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार एक ग्वालिन गर्भवती थी. उसका प्रसव का समय नजदीक था लेकिन दूध दही खराब ना हो जाए उस डर से वह दूध, दही को बेचने निकल गई कुछ दूर तक पहुचने के बाद उसे बेहद प्रसव पीड़ा हुई और उसने झरबेरी में एक बच्चे को जन्म दिया. उसी दिन हलषष्ठी थी कुछ देर समय व्यतीत करने के बाद बच्चों को वहीं छोड़ दूध दही बेचने चली गई.

ठगकर बेच दिया था गांव वालों को दूध

गाय- भैंस के मिश्रित दूध को केवल भैंस का दूध बताकर उसने गांव वालों को ठगकर बेच दिया. इससे व्रत धारण करने वाली महिलाओं का व्रत टूट गया और इस पाप के कारण झरबेरी के नीचे लेटे उसके बच्चे को किसान का हल लग गया. दुखी किसान ने झरबेरी के कांटों से ही बच्चे के चिरे हुए टांके लगाए और चला गया. जब ग्वालन वापस लौटी तो उसे बच्चों की दशा देख अपना पाप याद आया. उसने तत्काल पश्चाताप किया और पूरे गांव में घूमकर खुद को मिली सजा के बारे में बताया और जिसके बाद उसका बच्चा फिर से किलकारी मारने लगा.

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