संजीवनी बूटी से कम नहीं यह सफेद फूल…कुपोषित बच्चों के पैरों में डाल देगा जान

अर्पित बड़कुल/दमोह. दमोह के ग्रामीण कस्बों में बहुतायत संख्या मिलने वाला सहजन का पेड़ आयुर्वेद में अमृत के समान माना गया है. इसका पूरा पेड़ ही चमत्कारी होता है. इसके सफेद फूलों में कैल्शियम की भरपूर मात्रा पाई जाती हैं. जिस कारण यह कुपोषित बच्चों के पैरों में जान भी डाल सकता है. इसे ड्रमस्टिक भी कहा जाता है.

इस मुनगा के पेड़ में 8 प्रकार के विटामिन्स पाए जाते हैं. जिनमें से मुख्यतः विटामिन- ए, विटामिन-बी1, विटामिन-बी2, विटामिन-बी3, विटामिन-बी5, विटामिन-बी6, विटामिन-बी9 और विटामिन C होता है. इसके अलावा इसमें ढेर सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं. आयुर्वेद में यह सहजन का पेड़ कैल्शियम का सबसे अच्छा स्त्रोत माना जाता है. इसमें पोटेशियम, आयरन, पानी , डाइटरी,फाइबर ,प्रोटीन, सोडियम ,कार्बोहाइड्रेट ,फास्फोरस और जिंक जैसे तत्व प्रमुख मात्रा में पाए जाते हैं.इसका वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा होता है.विशेषज्ञ बतलाते हैं कि यह औषधि पेड़ प्रोटीन और कैल्शियम का जबरदस्त स्त्रोत माना जाता है.

चार गुना कैल्शियम का स्त्रोत
दरअसल, इस पेड़ के फूलों में दूध की तुलना में दुगना प्रोटीन और चार गुना कैल्शियम पाया जाता है इसकी फली पत्तियां और बीज बहु उपयोगी होते हैं. पेट और कफ रोगों में सहजन बेहतर फायदेमंद है. इसकी पत्तियों के सेवन से मोच, सटिका, आंखों की बीमारी और गठिया रोग से ग्रसित मरीजों के लिए निजात मिल सकती है.

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. दीप्ति नामदेव ने बताया कि यह चमत्कारी पेड़ बहु उपयोग माना जाता है. इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते हैं, वजन बढ़ाने में कारगर होते हैं. इसके अलावा  इससे बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है. ग्रामीण इलाकों में जिन बच्चों को उचित मात्रा में संतुलित आहार नहीं मिलता वह कुपोषण का शिकार हो जाते हैं. उनके लिए यह पेड़ किसी वरदान से काम नहीं है. इस पेड़ के फूल में करीब 90% तक कैल्शियम होता है. जिसका सेवन कई प्रकार से किया जा सकता है. इस आटे में मिलकर भी खाया जा सकता है. इसके अलावा इसका जूस बनाकर भी पिया जा सकता है.सब्जी के रूप में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.

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