संघर्षों के बाद मिली सफलता, अब पूरे राज्य में फैला इस युवक का व्यापार

सत्यम कटियार/फर्रुखाबाद: संघर्ष के दिनों में एक समय ऐसा भी आ जाता है जब कुछ भी समझ नहीं आता है. ऐसा ही घटनाक्रम फर्रुखाबाद के शैलेंद्र सिंह के साथ हुआ. वक्त था कुछ करने का, कुछ पैसे कमाने का, और ऐसा ही सोचकर युवक ने पत्तल और दोना बनाने के लिए एक नई तकनीक का अध्ययन किया. गांव में हस्तचालित मशीन से दोना बनाने का काम जारी था, और इस काम को करते समय उसने एक नई संविदानिक मशीन की तलाश में जाने का निर्णय किया.

युवा शैलेंद्र सिंह ने बताया कि इस को 2008 से 2013 तक काम किया, और उसके पास मशीन लगाने के लिए पैसे नहीं थे. इस दौरान, वह प्याज की खेती करके कानपुर से रॉ मैटीरियल मांगने के लिए पैसे जमा करने के लिए 5 रुपये की दर पर प्याज बेचता था, और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करता था.

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2 साल संघर्ष के बाद फैला व्यापार

गांव में विद्युत आपूर्ति की कमी के कारण, उसे 2 साल तक संघर्ष करना पड़ा, लेकिन एक दिन उसके लिए एक मौका आया जब उसका व्यापार बढ़ गया. आज, उसका व्यापार फर्रुखाबाद जिले के साथ-साथ अन्य जिलों जैसे की शाहजहांपुर, हरदोई, मैनपुरी, फिरोजाबाद, इटावा, और जालौन तक फैला हुआ है.

44 तरह के उत्पाद बनाते हैं शैलेश

शैलेंद्र सिंह कहते हैं कि अगर सरकार थर्मोकोल के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जाए, तो उनका व्यापार और बढ़ सकता है, खासकर थर्माकोल से बनी थालियों और कटोरियों पर. वर्तमान में, पत्तल और दोना प्लेट के अलावा, वे 44 विभिन्न उत्पादों को प्रदान करते हैं और उनका व्यापार सफल रह रहा है.

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