खास बातें
- 18 याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट अयोध्या विवाद की तर्ज पर सीधे सुनवाई
- जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच का फैसला दोपहर 2:00 बजे आएगा
- 16 नवंबर को संबंधित पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था.
प्रयागराज:
मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में विवादित परिसर का सर्वे एडवोकेट कमिश्नर के जरिए कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल की गई अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगी. जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच का फैसला दोपहर 2:00 बजे आएगा. ज्ञानवापी विवाद की तर्ज पर विवादित परिसर का एडवोकेट कमिश्नर से सर्वे कराए जाने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की गई थी.
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मथुरा विवाद से जुड़ी हुई 18 याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट अयोध्या विवाद की तर्ज पर सीधे तौर पर सुनवाई कर रहा है. ज्ञानवापी मामले में भी कोर्ट प्रक्रिया की सक्रिय शुरुआत एडवोकेट कमिश्नर से ज्ञानवापी परिसर की जांच के आदेश के बाद ही हुआ था. अगर कल एडवोकेट कमिश्नर से सर्वे कराने के पक्ष में फ़ैसला आया तो मथुरा का मामला तूल पकड़ सकता है.
न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने इससे पूर्व 16 नवंबर को संबंधित पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था. यह याचिका भगवान श्री कृष्ण विराजमान और सात अन्य लोगों द्वारा अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन के जरिए दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया है कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं जो यह साबित करते हैं कि वह मस्जिद एक हिंदू मंदिर है.
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के मुताबिक, इस याचिका में कहा गया है कि वहां कमल के आकार का एक स्तंभ है, जोकि हिंदू मंदिरों की एक विशेषता है और शेषनाग की एक प्रतिकृति है जो हिंदू देवताओं में से एक हैं और जिन्होंने जन्म की रात भगवान कृष्ण की रक्षा की थी. याचिका में यह भी बताया गया है कि मस्जिद के स्तंभ के आधार पर हिंदू धार्मिक प्रतीक हैं और नक्काशी में ये साफ दिखते हैं.
याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया है कि निर्धारित समय सीमा के भीतर सर्वेक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपने के विशेष निर्देश के साथ एक आयोग का गठन किया जाये. इस पूरी कार्यवाही की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराने का भी अनुरोध किया गया है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस वर्ष मई में मथुरा की अदालत में लंबित श्री कृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े सभी मुकदमे अपने पास स्थानांतरित कर लिए थे.
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