श्रीराम की 10वीं शताब्दी कीप्रतिमा बनी आकर्षण का केंद्र,लगती है भक्तों की भीड़

अर्पित बड़कुल/दमोह: मध्य प्रदेश के दमोह जिले की धरा में कई अनूठे राज आज भी दफ्न है. अन्य जिलों की जमीने पैट्रोल, डीजल, गैस और भी अन्य प्रकार के खनिज पदार्थ उगलती हैं. जबकि दमोह जिले दौनी ग्राम की धरती भारत के इतिहास, संस्कृति और धरोहर को उगलती है. जब एक नजर दौनी ग्राम के इतिहास पर डाले तो यह वहीं स्थल है जहां पर पहले कभी 7 से 8 मंदिरों का समूह हुआ करता था.जो वर्तमान समय मे पूरी तरह से प्राकृतिक विपदाओं के कारण बिखरा पड़ा हुआ है. रानी दमयंती पुरातत्व संग्रहालय में मौजूद अधिकतर प्रतिमाएं 10 से 11 वी शताब्दी है जो दौनी ग्राम से ही प्राप्त हुई है.

भगवान श्री राम का जन्म त्रेता युग में अर्थात द्वापर युग से पहले माना जाता है. वर्तमान समय मे कलियुग का अभी प्रारंभ ही है. और राम का जन्म त्रेता के अंत में हुआ तथा अवतार लेकर धरती पर उनके वर्तमान रहने का समय परंपरागत रूप से 11,000 वर्ष माना गया है.राम-राम’ शब्द जब भी अभिवादन करते समय बोल जाता है तो हमेशा दो बार इस नाम को बोला जाता है. इसके पीछे एक वैदिक दृष्टिकोण माना जाता है. वैदिक दृष्टिकोण के अनुसार पूर्ण ब्रह्म का मात्रिक गुणांक 108 है. वह राम-राम शब्द दो बार कहने से पूरा हो जाता है,क्योंकि हिंदी वर्णमाला में  27वां अक्षर है.

यह राम जी की मूर्ति 1100 वर्ष पुराना
वहीं पुरातत्व अभिलेखागार अधिकारी सुरेंद्र चौरसिया ने कहा कि यह जो प्रतिमा है वो भगवान राम की है जो दौनी से प्राप्त हुई है.अधिकतर प्रतिमाएं इस संग्रहालय में दौनी से लाई गई है. उसी क्रम में किसी देवी देवता की पहचानने में दो मुख्य कारण होते है एक उनका आयुथ और दूसरा वाहक इन दो कारणों से उस देवी देवता की पहचान होती है. इस प्रतिमा में देख रहे होंगे कि दोनों हाथों से वाणफलक का हिस्सा दिख रहा है अगला और पिछला धनुष और वाण होना श्री राम की प्रतिमा होने का अनुमान है वहीं दूसरा इनके चरणों के समीप दो चरण सेवक दिख रहे है पहला जो हाथ जोड़े हुए मुद्रा में खड़ा हुआ है. वहीं दूसरा जो सेवक है वह शिवलिंग हाथ मे लिए बैठा है. इस बात का संकेत है कि ये भगवान राम ही होना चाहिए क्योंकि भगवान राम शिव उपासक थे. ऐसा हमने व्रतांत ग्रन्थों में हमने ऐसा पड़ा है.चूंकि इतिहासकारो ने इस प्रतिमा में रोचकता प्रदान करने के लिए इनको अभिज्ञान राम की संज्ञा दे दी उसका कारण यह है कि इनके जो केश विन्यास की अवस्था है जो भगवान बुध के बुधुत्व प्राप्त करने वाली अवस्था से समानता रखता है इसलिये इन्हें सिर्फ राम न कहकर अभिज्ञान राम की उपमा दी है इतिहासकारो ने.

Tags: Damoh News, Jharkhand news, Local18, Religion 18

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *