हाइलाइट्स
कोर्ट ने कहा कि सभी केस कंसोलिडेटेड कर सुनवाई करने से कोर्ट के समय की बचत होगी.
साथ ही कहा, समान प्रकृति के वादों का कंसोलिडेटेड किया जाना न्याय हित में जरूरी है.
कोर्ट कमिश्नर की रूपरेखा तय करने के मामले की सुनवाई 17 जनवरी को होगी.
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद से जुड़े सभी मामलों को कंसोलिडेटेड करने की अर्जी मंजूर कर ली है. हाईकोर्ट में विचाराधीन 18 सिविल वादों में से 15 वादों को भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव मूल वाद में मर्ज कर दिया गया है. शेष दो केसों पर बाद में विचार किया जाएगा.
कोर्ट ने कहा कि सभी केस कंसोलिडेटेड कर सुनवाई करने से समय की बचत होगी, पक्षकारों का खर्च बचेगा और फैसलों में भिन्नता नहीं होगी. समान प्रकृति के वादों का कंसोलिडेटेड किया जाना न्याय हित में जरूरी है. हालांकि कोर्ट कमिश्नर की रूपरेखा तय करने के मामले की सुनवाई 17 जनवरी को होगी. यह आदेश जस्टिस मयंक जैन की सिंगल बेंच ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव सहित सभी 17 वादों की सुनवाई करते हुए दिया है.
विष्णु जैन ने दाखिल की अर्जी
मामले की सुनवाई के दौरान मंदिर पक्ष की तरफ से अधिवक्ता विष्णु जैन ने अर्जी दाखिल कर सभी वादों को कंसोलिडेटेड कर सुनवाई करने की मांग की. विष्णु जैन की मथुरा में लंबित श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़े सभी वादों को हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर सुनवाई की याचिका पर कोर्ट ने सभी वादों को मंगा लिया गया और सुनवाई की जा रही है. मांग की गई है कि कटरा केशव देव के नाम की 13.37 एकड़ जमीन से अवैध ढांचा हटाया जाए.
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का कहना था कि मामला अतिआवश्यक है, जिसका शीघ्र निपटारा किया जाना न्याय हित में जरूरी है. सभी केसों को कंसोलिडेटेड कर सुनवाई से समय व खर्च की बचत होगी. विरोधाभासी फैसले भी नहीं आएंगे. मस्जिद पक्ष के वकीलों ने भी इससे सहमति जताई.
महमूद प्राचा ने किया विरोध
हालांकि महमूद प्राचा ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से बहस में विरोध किया. किंतु उसी पक्ष के अधिवक्ता नसईरूज्जमा ने आपत्ति नहीं कर कंसोलिडेटेड करने पर सहमति जताई. उन्होंने कहा कि समान प्रकृति के केस हैं, कंसोलिडेटेड कर सुनवाई की जानी चाहिए. मंदिर पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से बहस की और कहा कोर्ट को समान प्रकृति के वादों को कंसोलिडेटेड कर सुनवाई करने का सूओमोटो पावर है. ऐसा करने के लिए पक्षकारों की सहमति जरूरी नहीं है. इससे समय बचेगा.
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुनवाई टालने को कहा
जबकि अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर भेजने का आदेश दिया है. जल्द रूपरेखा तय की जानी है. हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज के साथ तीन वकीलों का कमीशन भेजा जा सकता है. पक्षकारों को भी साथ रहने की अनुमति दी जाए. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने परिवार में गमी के कारण सुनवाई टालने की अर्जी दी है. जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 17 जनवरी तय की है.
क्या कहा मुस्लिम पक्ष ने
मंदिर पक्ष के अधिवक्ता प्रभाष पांडेय, प्रदीप शर्मा, मस्जिद पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता वजाहत हुसैन व न्यायमित्र मार्कंडेय राय सहित तमाम पक्षों के अधिवक्ताओं ने पक्ष रखा. सुनवाई शुरू होते ही मुस्लिम पक्ष की ओर से यह कहते हुए सुनवाई स्थगित करने की मांग की गई कि सर्वे कमीशन के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लंबित है जिसकी 16 जनवरी को सुनवाई की संभावना है. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता के पिता की मृत्यु हो गई है और वह पहले ही स्थगन का प्रस्ताव दे चुके हैं. इसलिए एडवोकेट कमीशन की रूपरेखा तय करने पर आज सुनवाई न की जाए.
सभी 18 सिविल वादों के पक्षकारों ने विभिन्न अर्जियां दाखिल कीं
हिंदू पक्ष के वकील हरि शंकर जैन व विष्णु शंकर जैन ने कहा कि मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह परिसर के सर्वे कमीशन की संरचना और तौर-तरीकों के मुद्दे पर सर्वे टीम गठित करने के आदेश से कोई नुकसान नहीं होने वाला है. हाईकोर्ट के किसी रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में सर्वे टीम गठित करने का आदेश दिया जा सकता है. विचाराधीन सभी 18 सिविल वादों के पक्षकारों ने विभिन्न अर्जियां दाखिल कीं, जिनकी सुनवाई की गई. कुछ अर्जियों पर विपक्ष को आपत्ति दाखिल करने का समय दिया गया है. जबकि कुछ अर्जी पक्षकार बनाने की भी दाखिल की गईं.
स्मृति चिह्न को नष्ट करने का आरोप
श्रीकृष्ण जन्मस्थान मुक्ति समिति की तरफ से एक पक्षकार की तरफ से कहा गया कि सारी जमीन कटरा केशव देव के नाम दर्ज है. जिसका सर्वे कमीशन जारी करने का आदेश हुआ है. विपक्षी शाही ईदगाह परिसर में तोड़फोड़ कर स्मृति चिह्न को नष्ट कर रहे हैं. उसकी अर्जी पर आपत्ति दाखिल करने का विपक्षी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अंतिम अवसर देने के बावजूद आपत्ति दाखिल न कर सुनवाई में देरी की जा रही है और दूसरी तरफ साक्ष्य समाप्त किये जा रहे हैं. प्रतीक चिह्नों को मिटाया जा रहा है. विवादित परिसर की दीवार व गेट को नुकसान पहुंचाने की शिकायत की गई. कोर्ट ने मूल वाद के साथ सुनवाई करने को कहा है.
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FIRST PUBLISHED : January 12, 2024, 03:24 IST