शून्य से लाखों तक पहुंचा नीलम सारंगी का सफर, कबाड़ को कमाल में करती हैं तब्दील  

शाश्वत सिंह/झांसी: दुष्यंत कुमार का एक मशहूर शेर है, “कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों”. इस शेर को सच साबित कर दिखाया है झांसी की रहने वाली नीलम सारंगी ने. नीलम सारंगी कबाड़ को कमाल में तब्दील करके बेकार को आकार देती हैं. 6 साल पहले भोपाल से झांसी आकर उन्होंने एक छोटे से पार्क से बेकार को आकार देने का सफर शुरु किया था.

नीलम बताती हैं कि उनके हुनर को देखकर लोगों ने उन्हें प्रोत्साहित किया और इस फील्ड में व्यापार करने का सुझाव दिया. धीरे-धीरे उनके हुनर के बारे में अन्य लोगों को पता चलने लगा. इसके बाद नगर निगम में उन्हें शहर के कूड़ा घरों को तब्दील करने का काम सौंपा. उन्होंने 10 से अधिक कूड़ा घरों को सेल्फी प्वाइंट में तब्दील कर दिया. एक पार्क को भी उन्होंने बेकार को आकार के माध्यम से सजाया. इन्वेस्टर सम्मिट समेत तमाम कार्यक्रमों में उन्हें स्टॉल लगाने के लिए बुलाया गया. अब रेलवे ने उन्हें झांसी स्टेशन पर दुकान लगाने का न्योता दिया है.

शून्य से लाखों तक का सफर
नीलम बताती हैं कि उन्होंने बिना किसी पैसे के अपना व्यापार शूरु किया था. आज उनका बिजनेस लाखों रुपए का है. इसके साथ ही वह अन्य महिलाओं को भी इस हुनर से जोड़ रही है. अपनी गैलरी में वह महिलाओं को मुफ्त में यह हुनर सिखाती हैं. उनकी ट्रैवलिंग का खर्चा भी वह खुद देती हैं. इसके बाद महिलाएं जो वस्तुएं तैयार करती हैं उसको बेचने में भी वह उनकी मदद करती हैं.

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