शिशु को बचाने की कोशिश करने वाली मणिपुर की दानदाता बाद में उसे “हिंसा में मारे गए” पोस्ट में देखकर सदमे में

शिशु को बचाने की कोशिश करने वाली मणिपुर की दानदाता बाद में उसे

मणिपुर में 3 मई को हिंसा शुरू हुई थी.

नई दिल्ली :

मणिपुर की एक महिला हिंसा पीड़ितों की लिस्ट में एक महीने के शिशु का नाम देखकर इसलिए हैरान रह गईं क्योंकि वे उसे जानती थीं. उस बच्चे को सोशल मीडिया पोस्ट पर 3 मई को शुरू हुई जातीय हिंसा का “पीड़ित” बताया गया. 41 साल की बिसोया लोइटोंगबम उस शिशु को जानती थीं क्योंकि उन्होंने उसके हिर्शस्प्रुंग रोग के इलाज के लिए एक लाख का दान दिया था. यह रोग एक जन्म दोष है जिसमें बड़ी आंत में कुछ तंत्रिका कोशिकाएं गायब होती हैं.

संभावित डोनर्स को भेजे गए एसओएस नोट से पता चला कि उस बच्चे का 3 मई से पहले ही तीन सप्ताह तक राज्य की राजधानी इंफाल के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था.  तीन मई वह दिन था जब पहाड़ी-बहुसंख्यक कुकी जनजातियों और घाटी-बहुसंख्यक मैतेई के बीच झड़पें हुईं थीं. 

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में रह रहीं लोइतोंगबम ने फोन पर एनडीटीवी को बताया कि, “मुझे 7 मई को शीर्ष जिला अधिकारी से एक बच्चे के बारे में फोन आया, जिसे एडवांस इक्विपमेंट के साथ एक अच्छे अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत थी. अगले दिन मैंने एक लाख रुपये भेजे. मुझे डॉक्टरों से पता चला कि बच्चे की दुर्भाग्य से 9 मई को सर्जरी के बाद मौत हो गई.” 

उन्होंने एनडीटीवी को शिशु की सर्जरी के लिए यूपीआई का उपयोग करके भेजे गए पैसे का स्क्रीनशॉट दिखाया.

Latest and Breaking News on NDTV

लोइटोंगबम व्यापक रूप से सफल ’10BedICU’ प्रोजेक्ट की नेशनल लीडर हैं. इस परियोजना की स्थापना आधार के पूर्व चीफ टेक्निकल आफीसर (CTO) श्रीकांत नाधमुनि ने की थी. यह परियोजना कई राज्यों में चल रही है और राज्य सरकारों द्वारा समर्थित भी है. ग्रामीण और छोटे सरकारी अस्पतालों में गहन देखभाल इकाई (ICU) इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए यह परियोजना मार्च 2021 में कोविड महामारी के बीच शुरू हुई थी.

लोइटोंगबम ने कहा, “मुझे बेहद दुख हो रहा है. लोगों को अपने नफरत भरे पोस्ट में एक बच्चे की मौत का इस्तेमाल करना पड़ रहा है जबकि उसका हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है. मैं सोच भी नहीं सकती कि बच्चे का इलाज करने वाले डॉक्टर क्या महसूस कर रहे होंगे.” उन्होंने कहा कि वे चिकित्सा परोपकार और कमजोर वर्गों के लिए दवाएं जुटाने में गहराई से शामिल रही हैं. उन्होंने कहा, “मैं चाहती हूं कि हम सभी को अब इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि मानवीय संकट को कैसे हल किया जाए.”

“भावनात्मक मुद्दों का राजनीतिकरण”

सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में लोइटोंगबम ने लोगों से “भावनात्मक मुद्दों का राजनीतिकरण” करने और “जो कुछ भी मानवता बची है उसे नष्ट करना” बंद करने के लिए कहा.

चुराचांदपुर जिले में कुकी-ज़ो जनजाति के 87 लोगों को सामूहिक रूप से दफ़नाने पर सोशल मीडिया पोस्ट में आरोप लगाया गया कि इंफाल घाटी में भीड़ ने एक महीने के शिशु को मार डाला. 87 शवों में से 41 को हिंसा भड़कने के महीनों बाद इंफाल के मुर्दाघरों से हवाई मार्ग से लाया गया था.

संभावित दाताओं को भेजे गए एसओएस नोट में कहा गया है कि शिशु को पहली बार अप्रैल के दूसरे सप्ताह में इंफाल के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में भर्ती कराया गया था. उनके माता-पिता पहाड़ी जिले चुराचंदपुर से आए थे.

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *