शिव नवरात्रि के सातवें दिन उमा महेश स्वरूप में दर्शन देंगे महाकाल, जानें महत्व

शुभम मरमट/उज्जैन. महाशिवरात्रि महापर्व पर श्री महाकालेश्वर मन्दिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु महाकाल भगवान जी के दर्शन करते हैं. महाशिवरात्रि महापर्व के नौ दिन पूर्व से ही यहां शिव नवरात्रि उत्‍सव की शुरुआत हो जाती है, जो कि 29 फरवरी से प्रारंभ है. सनातन धर्म की परंपरा में जिस प्रकार शक्ति की आराधना के लिए देवी मंदिरों में नवरात्रि महापर्व मनाया जाता है, उसी प्रकार महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में शिव नवरात्रि मनाई जाती है. शिव नवरात्रि का यह उत्सव फाल्गुन कृष्ण पंचमी से महाशिवरात्रि महापर्व के अगले दिन तक चलता है. इन दिनों भगवान महाकालेश्वर अलग-अलग रूप में अपने भक्तो को दर्शन देते हैं.

भगवान शिव का श्रृंगार महाकाल मंदिर के पुजारी पुरोहितों द्वारा किया जाता है, जिसमें भगवान महाकाल को सातवें दिन उमामहेश के रूप में श्रृंगार किया जाएगा, जिसमें भगवान महाकाल के साथ मां पार्वती भी दिखाई देंगी. माना जाता है कि एक साथ शिव और पार्वती के दर्शन करने से मन की इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जो इच्छा लेकर श्रद्धालु भगवान महाकाल के दरबार आता है. वह खाली हाथ नहीं जाता है .महाशिवरात्रि के पर्व पर भगवान महाकाल अपने भक्तों को अलग-अलग स्वरूप में दर्शन दे रहे हैं.

शिवनवरात्रि में दर्शन का है विशेष महत्त्व
जो भी भक्त इन 9 दिन के अंदर बाबा महाकाल के दर्शन पूजन के लिए आते हैं. बहुत सारे लोग शिवरात्रि पर व्रत रखते हैं या शिव का विशेष पूजन आदि करते हैं. वो अगर शिवनवरात्रि में आकर भगवान महाकाल का दर्शन पूजन कर लें तो उस भक्त को शिवरात्रि के महत्व के बराबर बाबा के दर्शन का आशीर्वाद मिलता है.

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