शिव नवरात्रि के छठे दिन महाकाल ने दिए मनमहेश स्वरूप में दर्शन, जानें महत्व

शुभम मरमट/उज्जैन. विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी देश ही नहीं विदेशों में प्रसिद्ध है. महाकालेश्वर मंदिर में बड़े ही धूमधाम से हर पर्व को मनाया जाता है. विश्व प्रसिद्ध महाकाल ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो तीसरे नम्बर पर आता है. यहां की परम्परा बाकी जगहों से अलग है. यहां शिवरात्रि ही नहीं, बल्कि शिव नवरात्रि मनती है, जिसमें नौ दिनों तक भगवान महाकाल अपने भक्तों को अलग अलग स्वरूप में दर्शन देते हैं. आइए जानते हैं कि शिव नवरात्रि के छठे दिन महाकाल ने किस स्वरूप में दर्शन दिया.

महाकाल मंदिर के पंडित महेश पुजारी ने बताया कि संध्या पूजन के पश्चात महाकाल ने मन महेश स्वरूप में दर्शन दिया. इस दौरान उन्हें नीले रंग के वस्त्र धारण करवाए गए. मुकुट, मुंडमाल, फलों की माला धारण की गई. इस श्रंगार का अपना एक अलग ही महत्व है. मनमहेश स्वरूप में बाबा को पगड़ी पहनाई गई. इस स्वरूप में बाबा को दूल्हे के रूप में सजाया गया. मान्यता है कि भगवान के स्वरूप के दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

शिवनवरात्रि में दर्शन का है विशेष महत्त्व
जो भी भक्त इन 9 दिन के अंदर बाबा महाकाल के दर्शन पूजन के लिए आते हैं. बहुत सारे लोग शिवरात्रि पर व्रत रखते हैं या शिव का विशेष पूजन आदि करते हैं. वो अगर शिवनवरात्रि में आकर भगवान महाकाल का दर्शन पूजन करलें तो उस भक्त को शिवरात्रि के महत्व के बराबर बाबा के दर्शन का आशिवाद मिलता है. इसलिए यहां शिवनवरात्रि मनाई जाती है.

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