शुभम मरमट/ उज्जैन: विश्व प्रसिद्ध महाकाल ज्योतिलिंग भारत के 12 ज्योतिलिंग में से एक है, जो तीसरे नम्बर पर आता है. यहां की परम्परा बाकी जगहों से अलग है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में शीप्रा नदी के तट पर स्थित है. महाकाल के बारे में कहा जाता है कि यह पृथ्वी का एक मात्र मान्य शिवलिंग है. यह दक्षिणमूखी होने के कारण इसकी मान्यता और बढ़ जाती है. यहां शिवरात्रि ही नहीं बल्कि शिव नवरात्रि बनती है, जिसमे नौ दिनों तक भगवान महाकाल अपने भक्तो को अलग-अलग स्वरूप मे दर्शन देते है. आइए जानते हैं तीसरे दिन किस स्वरूप मे दर्शन देंगे महाकाल.
महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकाल मंदिर में रविवार को शिव नवरात्री का तीसरा दिन है. भगवान शिव का घटाटोप के रूप में शृंगार किया जायेगा. जिसमे संतरे और गुलाब से भी बाबा महाकाल श्रृंगारित दिखाई देंगे. दोपहर के समय बाबा का श्रृंगार किया जाता है, जिनके दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं.
जानिए घटाटोप श्रृंगार के बारे में
घटाटोप श्रृंगार का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि बाबा महाकाल की जटाओं में तीन लोक समाहित हैं. सारी ऋतुएं, सारा संसार बाबा ने जटाओं में समाहित किया हुआ है. बाबा जाटओं को खोल भक्तों को दर्शन देते हैं. यह बाबा का नवरात्रि में आखिरी स्नान श्रृंगार माना गया है.
शिव नवरात्रि मे दर्शन का है विशेष महत्त्व
जो भी भक्त इस 9 दिन के अंदर बाबा महाकाल के दर्शन के लिए आते हैं, पूजन के लिए आते है साथ ही अपनी कई मनोकामना लेकर भी आते हैं. बहुत सारे लोग शिवरात्रि पर व्रत रखते हैं या शिव का विशेष पूजन आदि करते है. वो अगर शिव नवरात्रि में आकर भगवान महाकाल का दर्शन पूजन कर ले तो उस भक्त को शिवरात्रि के महत्व के बराबर बाबा का दर्शन का आशीर्वाद मिलता है. इसलिए यहा शिव नवरात्रि बनाई जाती है.
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FIRST PUBLISHED : March 1, 2024, 14:27 IST