रिपोर्ट-कैलाश कुमार
बोकारो. झारखंड के अनूठे शिव मंदिरों में बोकारो के चास प्रखंड के नारणपुर स्थित जरुआटाड़ बूढ़ा बाबा मंदिर का भी नाम आता है. जरुवाटाड़ मंदिर अपने मनोकामना शिवलिंग के लिए चर्चित है. इससे जुड़ी कहानी रोचक है. जरुआटाड़ बूढ़ा बाबा धाम वेलफेयर न्यास समिति ट्रस्ट के प्रबंधक मनोरंजन तिवारी ने लोकल 18 को बताया कि मंदिर का इतिहास लगभग 400 साल का है. यह मंदिर 17वीं सदी का बताया जाता है. बताते हैं कि एक लोहार शिवलिंग को पत्थर समझकर इसी पर अपने औजार तेज कर रहा था. पत्थर पर लगातार चोट पड़ने से अचानक दूध की धारा फूट पड़ी. यह देख लोहार हैरान रह गया. दूध की धारा इतनी तेज थी कि सामने स्थित तालाब मिनटों में भर गया.
इस घटना से आसपास के इलाके में हलचल मच गई. कुछ दिनों बाद काशीपुर के राजा को भगवान शिव ने सपने में दर्शन दिया. भगवान शिव ने राजा को आदेश दिया कि वे शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए हैं. इसके बाद राजा ने बनारस से पंडित बुलाकर यहां पर पूजा-अर्चना शुरू कराई. तभी से बूढ़ा बाबा मंदिर में भगवान शंकर की आराधना हो रही है.
लोकल18 से बातचीत में मनोरंजन तिवारी ने बताया कि आज भी वह तालाब मौजूद है, जिसे श्रद्धालु दूधी गोड़िया के नाम से बुलाते हैं. तालाब से जल भरकर शिवलिंग को अर्पित करते हैं. इसके अलावा यहां रोजाना तो पूजा होती ही है, शिवरात्रि के अवसर पर विशेष विशेष कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है. बूढ़ा बाबा धाम में शिवरात्रि के अवसर पर अखंड कीर्तन और भक्ति कार्यक्रम का आयोजन होता है. इस दौरान मंदिर को रंग बिरंगी लाइटों और खूबसूरत फूलों से सजाया जाता है.
जरुआटाड़ बूढ़ा बाबा धाम में शिवलिंग के अलावा दुर्गा मंदिर, महावीर मंदिर और हरि मंदिर भी है. मंदिर में पूजा अर्चना करने आए श्रद्धालु नकुल दत्त ने बताया कि वे प्रत्येक सोमवार यहां पूजा करने आते हैं. उनकी तरह आसपास के सैकड़ों लोग देवाधिदेव महादेव की आराधना करने बूढ़ा बाबा धाम में पहुंचते हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 8, 2024, 18:25 IST
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