शिवनवरात्रि पर ऐसे सजते हैं महाकाल, दूसरे दिन का श्रृंगार है बेहद अनोखा

शुभम मरमट / उज्जैन:- विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल का विवाह उत्सव शुरू होने वाला है. महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व की शुरूआत 9 दिन पूर्व से होती है, जिसे शिवनवरात्रि के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. शिव नवरात्रि के दूसरे दिन बाबा महाकाल को शेषनाग का मुकुट धारण कराकर उनका श्रृंगार राजा स्वरुप में किया जाता है. महाकाल के शृंगार में भांग, सूखा मेवा, फल और रजत के शेषनाग से श्रृंगार किया जाता है. साथ ही भगवान महाकाल को दूल्हा बनाने की परम्परा के अंतर्गत वे महाकाल शृंगारित दिखाई देते हैं. द्वितीय दिवस फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष पर बाबा वस्त्र धारण करते हैं. ऐसा बताते हैं कि शेषनाग रूप में बाबा के दर्शन करने से शक्ति मिलती है और जो मोह का बंधन होता है, उससे मुक्ति मिलती है.

विवाहोत्सव के रूप मे मनाया जाता है महाशिवरात्रि
उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इन नौ दिनों तक बाबा महाकाल का दूल्हा रूप में श्रृंगार किया जाता है और लाखों की संख्या में श्रद्धालु महाकाल के दर्शन करते हैं. मान्यता है कि नौ दिन तक बाबा महाकाल के दूल्हा स्वरूप में दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

9 दिन अलग-अलग रूप में सजेंगे महादेव
महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने कहा कि महाकाल महाराज जी की जो चल मूर्तियां है, उन्हें सवारियों में निकाला जाता है. शिव नवरात्रि के जो 9 दिन होते हैं. इसमें भगवान को अलग-अलग रूप में सजाया जाता है, ताकि भक्त उनके स्वरूप का दर्शन प्राप्त कर सके. नवरात्रि पर्व बड़ी धूमधाम से बनाए जाता हैं. पंचमी से इस पर्व की शुरुआत होती है, जिसे शिव नवरात्रि कहा जाता है. शिव नवरात्रि के प्रथम दिन यानि पंचमी के दिन यह पर्व प्रारंभ होता है. दूसरे दिन बाबा महाकाल का दूसरा दर्शन देखने को मिलता है. दूसरे दिन बाबा शेषनाग के स्वरूप में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं.

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दूसरे दिन चढ़ेगा शेषनाग का मुकुट 
छठ को भी अभिषेक पूजन होगा और उसी के बाद बाबा महाकाल को वस्त्र पहनाए जाएंगे. बाबा के ऊपर शेषनाग का मुकुट चढ़ाया जायगा. यह कहा जाता है कि भगवान के गले में जो शेष है, वह इस पृथ्वी के वजन को अपने सर पर रखे हुए है. भगवान उस शेषनाथ को अपने गले में धारण किए हुए हैं.

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