आकाश गौर/मुरैना. इस शिक्षक दिवस पढ़िए एक ऐसे शिक्षक की कहानी जिनके दोनों हाथ न होने के बाद भी शिक्षा की अलख जगा रहे है. मुरैना जिले से लगभग 65 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़गढ़ जनपद के अंतर्गत के गांव रामनगर में पढ़ाने वाले एक दिव्यांग सरकारी शिक्षक के दोनों हाथ पशुओं के लिए चारा काटने वाली मशीन में चले गए. इस वजह से वह दोनों हाथ गवां बैठे.
हादसे के बाद उन्होंने सोच लिया था कि अब मेरा पूरा जीवन पूरी तरह से थम गया है, अब मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा लेकिन दिव्यांग प्रदीप ने अपनी सोच जुनून और हौसले से पूरी जिंदगी की बाजी को ही पलट दिया. अपनी जिद और जुनून से दिव्यांग प्रदीप वह सब काम करता था जो सामान्य व्यक्ति करता है. प्रदीप अब छोटे बच्चों को पढ़ाते हैं. और अपने परिवार का भरण पोषण भी करते हैं.
दिव्यांग प्रदीप ने एमपी शिक्षक भर्ती परीक्षा पास कर सरकारी शिक्षक बन चुके हैं और वह पहाड़गढ के गांव रामनगर में सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाते हैं. प्रदीप लैपटॉप और मोबाइल को इस तरीके से चलाते है जैसे कोई सामान्य व्यक्ति चला रहा है. पेन से इस प्रकार से अपने दोनों हाथों से लिखते है जैसे सामान्य व्यक्ति लिखा रहा हो.
इसी प्रकार से ब्लैक बोर्ड पर चॉक से बच्चों को ऐसे पढ़ाते हैं जैसे सामान्य शिक्षक बच्चों को पढ़ाते है. प्रदीप बताते है कि वह अपनी मां के साथ खेती के कामों में भी हाथ बंटाते हैं. बता दें कि प्रदीप भिंड जिले के निवासी हैं और वह इस समय मुरैना में नौकरी कर रहे है.
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FIRST PUBLISHED : September 05, 2023, 06:22 IST