शादी के बाद खुद के सपनों के लिए आई आगे! अब बड़े ब्रांड को टक्कर देने की है तैयारी 

गौरव सिंह/भोजपुर : कुछ करने का जुनून, सही सलाह और सरकारी योजना का सही लाभ मिले तो आपके इरादे जरूर सफल होंगे. यह बातें भोजपुर की अनुप्रिया पर सटीक है. अनुप्रिया बिहार के आरा में स्वरोजगार की मिसाल बनी है. मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से लोन लेकर आटा, बेसन और सत्तू का मैनुफेक्चरिंग शुरू की. महज कुछ ही महीने में अलग पहचान बना ली है. वह खुद का ब्रांड बना आरा के हर दुकान में पहुंचा रही. भोजपुर के आलावे पटना और बक्सर में भी विंध्यवासिनी ब्रांड से प्रोडक्ट बेच रही है. प्रोडक्ट की पहचान शुद्धता के कारण बनी है.

खुद के दम पर खड़ा होना था मकसद

लोकल 18 से बात करते हुए एमपी बाग आरा के रहने वाले आशीष कुमार की पत्नी अनुप्रिया कुमारी सिन्हा ने बताया कि मैं शादी के पहले वर्किंग थी. एक निजी कम्पनी में नौकरी करती थी, लेकिन शादी के बाद परिवारिक उलझन और बच्चों की वजह से नौकरी छोड़ दी थी, लेकिन खुद के पैर और खुद का रोजगार करना लक्ष्य अभी भी था. जिस वजह से पति के दोस्त की सलाह पर मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से 10 लाख का लोन ले कर खुद का ब्रांड विंध्यवासिनी रजिस्टर कराई. आज इस ब्रांड के नाम से आटा, बेसन और सत्तू बनाने का काम शुरू किया.

कम समय ही मिली पहचान

रोजगार शुरू किए महज तीन महीना ही हुआ, लेकिन प्रोडक्ट में शुद्धता की वजह से आरा के लोगों को खूब पसंद आ रहा है. मेरा प्रोडक्ट जिस दुकान पर स्पलाई होता है, वहां से दुबारा पड़े पैमाने पर डिमांड किया जाता है. भोजपुर के बिहियां, आरा, गड़हनी, पीरो, कोइलवर, धोबहा और सरैया बाजार पर प्रोडक्ट की खूब डिमांड हो रही है. इसके अलावे ग्राहक खुद एक-एक क्विंटल आटा सामने पिसवा कर ले जाते हैं.

शुद्धता की दी जाती है गारेंटी

बाबा इंटरप्राइजेज अंतर्गत आटा, सतु, बेसन मैन्युफैक्चरिंग में ऑनर अनुप्रिया सिन्हा के द्वारा शुद्धता की ग्रांटी 100 प्रतिशत दी जाती है. अनुप्रिया ने बताया कि बाजार के अन्य प्रोडक्ट से हट कर है हमारा प्रोडक्ट है. क्योंकि लगभग सभी लोग मिलवाटी आटा और सतु बेचते हैं, लेकिन हमलोग बिना मिलवाट के आटा निकालते हैं. हमारे यहां ऐसी भी सुविधा है कि ग्राहक के सामने भी आटा निकाल कर और पैकेट बना हम उपलब्ध करा देते हैं. हमारे आटा से चोकर नहीं निकाला जाता है.

बाजार के बड़े ब्रांड के आटा को आप दो महीना भी रखेंगे तो खराब नहीं होगा, क्योंकि उसके गेंहू में केमिकल का परत चढ़ाया जाता है. तब आटा बनाया जाता है. वही अगर घर के गेंहू का आटा है तो वो 20 से 25 दिन में खराब हो जाता है. उसमें कीड़े लग जाते है. ऐसा इसलिए होता है क्यों कि घर के आटा में मिलावट नहीं होता है.

अन्य महिलाओं से भी खुद का रोजगार करने की अपील

एक सफल स्टार्टप करने वाली अनुप्रिया सिन्हा ने बताया कि अभी शुरुआती दौर में ही अच्छे प्रोडक्शन के वजह से डिमांड सप्लाई करना मुश्किल हो रहा है. रोजाना 10 क्विंटल गेंहू, 1 क्विंटल चना की बिक्री होती है. वहीं अभी इनके ब्रांड का आटा 30 रुपया केजी, बेसन 110 रुपया केजी है. दो लोगों को रोजागर भी दी है. अन्य महिलाओं से भी अपील करते हुए कहा परिवारिक समस्या से निकल खुद को समय दें और खुद का रोजगार कर खुद के पैरों पर खड़ी हो.

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