शादी के नए सीजन में विवाह मुहूर्त कम, पाती लग्न लिखवाने को लेकर मची होड़

शुभम मरमट / उज्जैन. विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी उज्जैनीय में भगवान श्री राम ने चिंतामण की स्थापना की थी. चिंतामन गणेश के मंदिर में 13 दिसंबर को अगहन शुक्ल प्रतिपदा से पाती के लग्न लिखे जाएंगे. इस बार विवाह मुहूर्त कम होने से देशभर से लोग पाती के लग्न लिखवाने के लिए मंदिर में संपर्क कर रहे हैं. मंदिर में पुजारी परिवार वंश परंपरा से पाती के लग्न लिखते हैं.

पं.शंकर पुजारी ने कहा कि देवप्रबोधिनी एकादशी के बाद शुभ मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो गई है. कई बार ज्योतिष गणना के अनुसार जिन परिवारों में विवाह के आयोजन होना है, वे युवक-युवतियों की जन्म पत्रिका के अनुसार मुहूर्त निकलवा रहे हैं. युवक-युवतियों के विवाह मुहूर्त नहीं निकलते हैं, लेकिन परिवार के लोग विवाह करना चाहते हैं. कई बार ऐसा होता है कि युवक-युवती अपने जन्म दिन या किसी खास तारीख पर विवाह करना चाहते हैं.

यह परम्परा बरसो से चली आ रही
चिंतामन गणेश मंदिर मे ऐसे लोगों के लिए पाती के लग्न लिखने की परंपरा है. इसमें किसी भी प्रकार के मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है. उज्जैन में भगवान चिंतामन गणेश को अधिष्ठात्र मानकर लड़की के परिवार की ओर से लड़के के परिवारवालों को विवाह के लिए पाती लिख दी जाती है. यजमान जिस तारीख को विवाह करना चाहते हैं, उस दिन की पाती लिखकर भगवान चिंतामन गणेश के चरणों में रखकर यजमान को सौंप देते हैं. भगवान भक्तों के कारज सिद्ध कराते हैं.

नव युगल जोड़ो की लगती है भीड़
आज का युवा भले ही सोशल मीडिया पर सक्रिय है और भविष्य के ताने बाने आधुनिक तरीको से बुन रहा है लेकिन फिर भी गणेशजी एवं धर्म के प्रति उसकी आस्था बरकरार है.शादी की लग्न लिखवाने के लिए युवा ही परिवारों पर दबाव डाल रहे हैं कि चिंतामण गणेश मंदिर में यह शुभ कार्य संपादित कराए जाए. यही कारण है कि मंदिर में भारी भीड़ नव युगल की देखी जा सकती है.इससे पाती के लग्न लिखवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है.शंकर पुजारी ने बताया हम लोग वंश परंपरा से पाती के लग्न लिख रहे हैं. पाती के लग्न लिखने में उजालिए अर्थात शुक्ल पक्ष का विशेष महत्व है. प्रतिमाह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से पूर्णिमा तक पाती के लग्न लिखे जाते हैं.

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