शादी की रस्म से मिट्टी के हाथी का गहरा नाता, वैवाहिक जीवन पर पड़ता है शुभ असर

ओम प्रकाश निरंजन/कोडरमा. विवाह को सबसे पवित्र सामाजिक और धार्मिक संबंध माना गया है. शादी के दौरान परिणय सूत्र में बंधने वाले जोड़े का 7 जन्मों तक साथ माना जाता है. इस दौरान कई ऐसी रस्में होती हैं, जिसका आज भी बखूबी निर्वहन किया जा रहा है. हालांकि, बहुत कम लोग सभी रस्मों के महत्व को जानते हैं. ऐसे में आज हम आपको शादी में इस्तेमाल होने वाले मिट्टी से बने हाथी और उसमें बने दीये की पौराणिक मान्यता और वैवाहिक जीवन पर प्रभाव के बारे में बताते हैं.

सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है हाथी
काली मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित विजय उपाध्याय ने बताया कि हाथी को गणेश जी का स्वरूप माना गया है. हाथी जीवन में सौभाग्य का प्रतीक भी है. विवाह में इसका उपयोग वैवाहिक जीवन में सौभाग्य की कामना को लेकर किया जाता है. बताया कि मिट्टी के हाथी को कुम्हार के घर से लाने का भी एक खास रिवाज है. विवाह के दौरान घर की महिलाएं कुम्हार के घर पहुंच कर उन्हें शगुन के तौर पर रुपये और कपड़े देती हैं. इसके बाद उनके द्वारा निर्मित मिट्टी के हाथी को घर लाया जाता है.

पीतल के कलश उपयोग करने से बचें
पंडित विजय उपाध्याय ने बताया कि वर्तमान में विवाह के दौरान कई लोग पीतल से बने कलश और पीतल से बने आम पत्ते का प्रयोग करते हैं, जिससे उन्हें बचना चाहिए. बताया कि मिट्टी के कलश में भगवान विष्णु का वास माना गया है. मिट्टी से निर्मित कलश को सबसे पवित्र माना गया है. हाथी के ऊपर बने कटोरे में धान का लावा भरा जाता है एवं इसके चारों तरफ बनें दीयो में ज्योति जलाई जाती है.

मंडम में जरूर करें ये काम
आगे बताया कि शादी के मंडप में मिट्टी के कलश और हाथी की पूजा बहुत शुभ मानी जाती है. इससे गृहस्थ जीवन में समृद्धि बढ़ती है. शादी के बाद कलश के पानी से घर के बड़े सदस्य स्नान करते हैं और नव विवाहित वर-वधु को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देते हैं. बताया कि शादी के बाद कुछ स्थानों पर मिट्टी के हाथी को विसर्जित किया जाता है. वहीं, कुछ इलाकों में लोग इसे अपने घर में सहेज कर रखते हैं.

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