शादी और पूजा-पाठ में महिलाएं क्यों लगाती है भखरा सिंदूर? जानें इसका महत्व

कुंदन कुमार, गया: सनातन धर्म विवाह के दौरान सिंदूरदान का अपना एक विशेष महत्व है और यह रस्म अदायगी की बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस रस्म में पहली बार दुल्हन की मांग में दूल्हा एक सिक्के या अंगूठी से सिंदूर लगाता है. ऐसा कहा जाता है कि सिंदूर दान के बाद ही एक लड़की सही मायने में विवाहित मानी जाती है. सिंदूर सबसे पहले शादी वाले दिन ही लगाया जाता है और उसके बाद यह श्रृंगार का हिस्सा बन जाता है. ऐसी मान्यता है कि सिंदूर लगाने से न केवल विवाहित महिला के पति की रक्षा होती है बल्कि उसे बुराइयों से भी बचाया जा सकता है.

भखरा सिंदूर माना जाता है बेहद शुभ
सिंदूर लाल, गुलाबी, केसरिया रंग का होता है. इन रंगों में केसरिया सिंदूर को दुल्हन के लिए शुभ माना जाता है. महिलाओं के सिंदूर लगाने के कई कारण छिपे हैं. आपने भी कई महिलाओं को लाल के बजाय केसरिया सिंदूर जिसे भखरा सिंदूर भी कहा जाता है लगाते हुए जरूर देखा होगा. भखरा सिंदूर या केसरिया सिंदूर को बेहद शुभ माना जाता है.

केवल महिलाएं ही नहीं देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए भी इस सिंदूर का ही इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि भखरा सिंदूर को केवल भगवान को हीं चढ़ाया जाता है. अक्सर भखरा सिंदूर का इस्तेमाल पूजा-पाठ या शादी विवाह में हीं किया जाता है. अन्य दिनों में महिलाए लाल रंग के सिंदूर लगाए आपको दिख जाएंगे.

पति की दीर्घायु उम्र के लिए महिलाएं लगाती है सिंदूर
मंत्रालय वैदिक पाठशाला के पंडित राजा आचार्य बताते हैं कि भखरा सिंदूर या केसरिया सिंदूर शुद्धता, सात्विक, उज्जवल भविष्य तथा सौभाग्य का प्रतीक है. विवाह या पूजन कर्म में महिलाएं इसका उपयोग करती हैं. भखरा सिंदूर सौभाग्य का प्रतीक तो है हीं, यह प्रेम का भी प्रतीक है. इसलिए विभिन्न पूजा या शादी विवाह पति के दीर्घायु के लिए महिलाए यह सिंदूर अपने मांग में लगाती हैं. विवाह के बाद यदि शादी-शुदा स्त्रियां मांग में सिन्दूर लगाती हैं तो उनका सौभाग्य बना रहता है और उनके सौंदर्य में भी निखार आता है.

प्रेम और शक्ति का प्रतीक है सिंदूर
पंडित राजा आचार्य बताते हैं किसिंदूर का रंग लाल होता है जिसे प्रेम और शक्ति का प्रतीक माना जाता है. यह भी माना जाता है कि सिंदूर से वैवाहिक रिश्ता मजबूत होता है. मान्यता है कि विवाहित स्त्री जितनी लंबी मांग भरती है पति की आयु भी उतनी लंबी होती है. इसलिए ज्यादातर महिलाएं मांग भरकर सिंदूर लगाती हैं. सिंदूर का संबंध जीवनसाथी की दीर्घायु की कामना और अच्छे स्वास्थ्य के साथ ही, पत्नी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ भी है.

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सिंदूर से जुड़ी है पौराणिक कथाएं
पंडित राजा आचार्य बताते हैं कि सिंदूर को लेकर एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार रामायण काल में जब हनुमान जी ने एक बार माता सीता को सिंदूर लगाते हुए देखा तो उनसे यह प्रश्न किया कि वो मांग में सिन्दूर क्यों लगाती हैं. उस समय माता सीता ने बताया कि यह प्रभु श्री राम के प्रति उनके प्रेम को दिखाता है. उस समय हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर का लेप कर लिया जिससे उनका प्रेम भी प्रभु श्री राम तक पहुंचे.

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