शाजापुर के इस मंदिर में हुआ भव्य खिचड़ी भंडारे का आयोजन, भक्तों का लगा हुजूम

मोहित भावसार/शाजापुर. शिर्डी का साईं मंदिर विश्व प्रसिद्ध है. हूबहू वैसा ही दूसरा मंदिर मध्यप्रदेश के शाजापुर में भी है. शहर के टंकी चौराहा पर स्थित इस मंदिर की स्थापना 03 मार्च 1989 में हुई थी. तब से लेकर आज तक हर साल मार्च माह की 3 तारीख को साईं मंदिर सेवा समिति द्वारा स्थापना दिवस मनाया जाता है. इस दिन अनेक प्रकार के आयोजन होते हैं.

साईं मंदिर सेवा समिति शाजापुर के सदस्य अरुण शर्मा बताते हैं कि साईं मंदिर की स्थापना को आज लगभग 34 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं. हर साल की 3 मार्च को स्थापना वर्ष को लेकर समिति द्वारा इसे एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दौरान पूरे मंदिर परिसर में विद्युत सज्जा और मंदिर को फूलों से सजाया जाता है. इस उत्सव के दौरान शाजापुर और आस-पास के ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में साईं भक्त पहुंचते हैं. आयोजन का शुभारंभ एक दिन पहले यानि 2 मार्च से हो जाता है. 2 मार्च की रात्रि सुंदरकांड के पाठ का आयोजन होता है. इसके बाद 3 मार्च की सुबह बाबा का अभिषेक और हवन और रात्रि के समय बाबा की महाआरती की जाती है. हवन पूजन खत्म होने के बाद दोपहर से लेकर रात्रि तक प्रसादी का वितरण किया जाता है.

1990 से शुरू हुआ साईं का भंडारा
साईं सेवा समिति वर्ष 34 वर्षों से हर साल भंडारा का आयोजन करता है. पहले भंडारे में करीबन 250 साईं भक्तों ने साईं प्रसादी ग्रहण की. फिर धीरे – धीरे इस भण्डारें में साईं भक्तों की संख्या बढ़ती गई और साईं सेवा समिति ने शाजापुर सहित आस-पास के ग्रामीण इलाकों को मिलाकर लगभग 30 से 40 हजार भक्तों को इस भंडारें की प्रसादी ग्रहण करवा चूका है. शाम को साईं की महाआरती में बड़ी संख्या में साईं भक्तों को भीड़ उमड़ी.महाआरती के बाद मंदिर में भक्तों को प्रसादी का वितरण भी किया गया.

कोरोना के समय बंद हुआ भंडाराॉ
समिति के सदस्य अरुण शर्मा ने बताया कि दो तीन वर्ष पहले कोरोना ने पुरे भारत देश में अपनी दस्तक दी थी. ऐसे में साईं सेवा समिति ने फैसला लिया कि महामारी के इस दौर में भंडारे पर रोक लगा दी जानी चाहिए, लेकिन गत वर्ष 2023 में समिति के सदस्यों ने एक फैसला यह लिया कि साल में एक दिन भंडारा करने के बजाय हम रोज शाम को निराश्रितों को खाना खिलाया जाएगा,क्योंकि सुबह तो उन्हें खाना मिल जाता है, लेकिन शाम के समय उन्हें अधिकतर समय भूखे ही सोना पड़ता हैं. तब से लेकर आज तक साईं सेवा समिति में सदस्य रोजाना लगभग 30 से 40 निराश्रितों को भोजन करवा रहा है.

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