शहरी क्षेत्र के लोग इस तकनीक से घर में उगाएं हरा चारा, मिट्टी की नहीं जरूरत

कुंदन कुमार/गया : देश में बढ़ती जनसंख्या के कारण खेती करने लायक जमीन घटती जा रही है. दूसरी तरफ खाद्यान्न और दूध की मांग दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है. खेत की कमी के कारण दुधारू पशुओं के लिए हरा चारा मिलना मुश्किल हो रहा है. इसलिए देश में आधुनिक विधि से हरा चारा उत्पादन की तकनीकों का इस्तेमाल करने बढ़ावा दिया जा रहा है.

इसके लिए कृषि वैज्ञानिक लगातार प्रयास भी कर रहे हैं. क्योंकि दुधारू पशुओं पर करीब 60 से 70 फीसदी खर्च उनके आहार पर ही होता है. हरे चारे की किल्लत की समस्या से किसानों को छुटकारा मिले, इसके लिए हरा चारा उगाने की हाइड्रोपोनिक तकनीक से चारा उगाने की तकनीक इजात की है. यह तकनीक किसानों के लिए बेहद मददगार है, क्योंकि इसमें हरा चारा केवल पानी और पोषक तत्वों के बल पर बिना खेत में बुआई किए ही घर में भी उगाया जा सकता है.

कम समय और कम लागत में उत्पादन होगा हरा चारा
गया कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डाॅ. अनिल कुमार रवि ने बताया कि इस तकनीक को चारा उत्पादन कर अपने पशुओं से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग सेकिसानों के द्वारा हाइड्रोपोनिक तरीके से चारा उगाया जा रहा है. उन्होंने बताया हाइड्रोपोनिक तकनीक कम समय और कम लागत में हरा चाराउत्पादन की बेहद कारगर विधि है.

इसमें बिना मिट्टी और कम पानी में 7 दिन के अन्दर हरा चारा उगाया जा सकता है. इस तकनीक में ऐसे पोषक तत्वों को प्रयोग में लाया जाता है,जो जल में घुलनशील होते हैं. इसमें कैल्सियम, मैग्निशियम, पोटैशियम, नाइट्रेट, सल्फेट और फॉस्फेट को पोषक तत्व के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. चारा के लिए गेहूं, बाजरा और मक्का की फसल आसानी से उगाई जा सकती है.

ऐसे उगता है हरा चारा
इन्होंने बताया वैसे पशुपालक जो शहर में डेयरी पालन या डेयरी का बिजनेस कर रहे हैं, तो इस तकनीक से आप अपने मकान की छत पर या एक कमरे में भी 7 दिन के अन्दर हरा चारा उगा सकते हैं. हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से हरे चारे को उगाने के लिए किसानों को सबसे पहले मक्के के बीज को 24 घंटे के लिए पानी में भिगोना होता है. इसके बाद एक ट्रे में बीज को डाला जाता है. इसके बाद दिन में दो-तीन बार इसमें पानी का छिड़काव किया जाता है. जिससे की उसमें नमी बनी रहें. इन ट्रे के निचले तल में सुराख होते हैं, जिससे की जरूरत से ज्यादा पानी ट्रे ना रुके और पौधे को जितना पानी की जरूरत वह मिलता रहे.

दूध बढ़ाने में ये चारा है ज्यादा पोषक
ट्रे में जमे हुए बीजों पर लगातार पानी का छिड़काव होता रहे. इस प्रक्रिया के बाद 7से8दिन के अंदर पशुओं को खिलाने के लिए एक किलोग्राम बीज से लगभग 8 से 10 किलोग्राम पौष्टिक हरा चारा मिल जाता है. जिसे ट्रे से निकालने पर ये चारा कटे हुए मैट की तरह दिखता है जिसे सीधे पशुओं को खिलाया जा सकता है. इस तरह एक ट्रे से लगभग एक गाय को एक दिन खिलाने के लिए पर्याप्त चारा प्राप्त किया जा सकता है. इस तकनीक की खास बात ये है कि दूधारू पशुओं का दूध बढ़ाने में ये चारा दूसरे हरे चारे की तुलना में ज्यादा पोषक भी होता है.

आम हरे चारे की तुलना में 40 फीसदी ज्यादा पोषण
हाइड्रोपोनिक तकनीक से तैयार की गई घास में आम हरे चारे की तुलना में 40फीसदी ज्यादा पोषण होता है. परंपरागत हरे चारे में प्रोटीन10.7 फीसदी होती है, जबकि हाइड्रोपोनिक्स हरे चारे में प्रोटीन 13.6 प्रतिशत होता है. हाइड्रोपोनिक तकनीक से 1 किलो हरा चारा उगाने के लिए 2 से 3 लीटर पानी की जरूरत होती है. गौरतलब हो कि दुधारू पशुओं के लिए साल भर हरे चारा की व्यवस्था किसानों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होती है.

अब हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से पूरे साल बाढ़ हो या सुखा पशु को पौष्टिक हरा चारा उपलब्ध कराया जा सकता है. दुधारूओं पशुओं का दूध का उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है. फिलहाल गया में कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से ट्रायल के तौर पर 7 किसानों के द्वारा इस तकनीक का इस्तेमाल कर हरा चारा का उत्पादन किया जा रहा है.

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