हाइलाइट्स
पाकिस्तान में प्रोफेसर द्वारा डार्विन थ्योरी पढ़ाने से बवाल मच गया है.
डार्विन थ्योरी पढ़ाने के कारण पाकिस्तानी मौलाना नाराज हो गए हैं.
प्रोफेसर से माफी मंगवाते हुए कलवाया- शरिया के अलावा सब झूठ है.
इस्लामाबाद: पड़ोसी देश पाकिस्तान अपनी हरकतों से सुर्खियों में रहता है. यहां से एक बार फिर एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. बन्नू में एक कॉलेज प्रोफेसर को डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत की निंदा करने के लिए मजबूर किया गया. इस घटना के बाद पूरे दक्षिण एशियाई देश में शिक्षाविदों के बीच चिंता की लहर पैदा हो गई.
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार बन्नू के सरकारी पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में एक कोर्स के हिस्से के रूप में डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को पढ़ाने वाले जूलॉजी के सहायक प्रोफेसर शेर अली का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. पिछले सप्ताह शूट की गई क्लिप में, वह स्टाम्प पेपर पर लिखे माफीनामा पढ़ते हुए मौलवियों से घिरे हुए दिखाई दे रहे हैं.
گلیلیو کی طرح پروفیسر شیر علی نے عقلمندی سے کام لیا اور ڈارون تھیوری کے مطابق (survival of the fittest) پر عمل کرکے درندگی سے اپنی بچی کچھی قیمتی زندگی (پروفیسر شیر علی اپنی گاڑی میں نصب شدہ بم کے نتیجے میں بچ گئے ہیں اور پاؤں کا کچھ حصہ کھو چکے ہیں) کو بچا لیا۔ pic.twitter.com/77pYfvluNp
— Niazbeen (@niazbeen93) October 19, 2023
प्रोफेसर ने तीन पन्नों का नोट पढ़ा जिसमें कहा गया था कि ‘सभी वैज्ञानिक और तर्कसंगत विचार, जो डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत सहित इस्लामी शरिया के विरोधाभासी हैं झूठे हैं. साथ ही महिलाएं पुरुषों से कमतर हैं.’ प्रोफेसर अली ने माफीनामे में आगे कहा ‘शरीयत द्वारा निर्धारित ज्ञान के संदर्भ में और घोषित किया गया है कि महिलाओं को पुरुषों के साथ अनावश्यक रूप से घुलने-मिलने की अनुमति नहीं है.’
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार पारंपरिक इस्लामिक ड्रेस कोड का पालन किए बिना सार्वजनिक रूप से दिखाई देने वाली महिलाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के जवाब में शिक्षक ने इस्लाम में महिलाओं के अधिकारों पर भाषण दिया था. इसके बाद पाकिस्तानी मौलवियों ने प्रोफेसर अली पर न केवल अपने भाषण में बल्कि अपने विश्वविद्यालय के कोर्स के दौरान भी अय्याशी फैलाने और इस्लाम के खिलाफ बोलने का आरोप लगाया. लेकिन प्रोफेसर ने तर्क दिया कि डार्विन के सिद्धांत सहित उनकी शिक्षण सामग्री, शिक्षा बोर्ड द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम पर आधारित है और विद्वानों को कोई समस्या है, तो उन्हें इसके बजाय कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : October 26, 2023, 13:34 IST