शनिश्चरी अमावस्या पर उज्जैन के इस मंदिर में श्रद्धालु छोड़ जाते हैं जूते-चप्पल और कपड़े, जानें मान्यता

शुभम मरमट/उज्जैन. शनिश्चरी अमावस्या पर उज्जैन के त्रिवेणी घाट पर नवग्रह शनि मंदिर में अल सुबह से फव्वारा स्नान शुरू हुआ. श्रद्धालु शुक्रवार रात में ही घाटों पर पहुंच गए थे. पनौती के रूप में यहां पर कपड़े, जूते, चप्पल छोड़ने की मान्यता है. बताया जाता है यहां जूते, चप्पल, कपड़े छोड़कर जाने से शनि की साढ़ेसाती से राहत मिलती है.

बता दें कि शनिश्चरी अमावस्या पर मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के जल से भक्त स्नान करते हैं. सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र से आए श्रद्धालुओं को भीड़ देखने को मिलती है. पुजारी ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि साल में करीब 3 शनिश्चरी अमावस्या पड़ती है. इस दौरान जो भक्त इस शनि मंदिर का दर्शन करता है. उस पर शनिदेव की साढ़े साती व ढैय्या का प्रभाव कम होता है.

पनौती समझकर छोड़ते हैं कपड़े
शनिश्चरी अमावस्या पर श्रद्धालु भगवान को लोहा, तिल, नमक, काला कपड़ा, तेल दान करते हैं. इसके अलावा, भक्त घाट पर स्नान के बाद पहने हुए कपड़े व जूते-चप्पल को पनौती के रूप में वहीं छोड़ जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने की परंपरा सदियों पुरानी है, जिस पर भक्त आज भी अमल करते हैं.

त्रिवेणी संगम पर स्नान करने का विशेष महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिश्चरी अमावस्या पर शिप्रा के त्रिवेणी संगम पर स्नान करने का बहुत महत्व है. यही वजह है कि प्रशासन को पहले ही श्रद्धालुओं की भीड़ ज्यादा पड़ने का अनुमान था. इसी को देखते हुए त्रिवेणी संगम पर तमाम व्यवस्थाएं जुटाई गई थीं. शनिश्चरी अमावस्या का स्नान भले ही आज सुबह से प्रारम्भ हुआ हो, लेकिन हजारों की संख्या में ग्रामीण अंचल से श्रद्धालु शुक्रवार रात्रि को ही पहुंच गए थे. इन श्रद्धालुओं ने रात्रि में शिप्रा किनारे ही भजन-कीर्तन किया और अल सुबह स्नान, दर्शन और दान पुण्य कर धर्म लाभ अर्जित किया.

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