शनिदेव की पूजा करने के 5 नियम, भूलकर भी शनिवार को ना करें ये गलती

हिमांशु श्रीवास्तव/सीतापुरः सप्ताह के सातों दिन सनातन धर्म मेंकिसी नाकिसी देवी-देवता को समर्पित किए गए हैं. उन्हीं में से एक शनिवार का दिन कर्म और न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित किया गया. धार्मिक ग्रंथों में शनिवार के दिन शनि देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए निर्मल मन से पूजा करने के बारे में विस्तार से बताया गया है. कहते हैं जो व्यक्ति सच्चे मन से शनिदेव की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करता है उसे अपने जीवन में कई शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं.

उत्तर प्रदेश के सीतापुर में एक प्राचीन स्थान शनिदेव का बना हुआ है. यह स्थान कई वर्ष पुरानाहै. शनिदेव का यह मंदिर जंगल में है जिस जंगल को जंगली नाथ के नाम से जाना जाता है. यह स्थान जंगलों के बीच हुआ करता था, लेकिन धीरे-धीरे आबादी बढ़ती गई और यहीं पर शनिदेव का मंदिर बना दिया गया.

इस विधि से करें शनिदेव की पूजा
यदि आप शनिवार का व्रत करते हैं या फिर शनिवार का व्रत करना चाहते हैं तो उसके 1 दिन पहले से मांस मदिरा यहां तक कि तामसिक भोजन का सेवन छोड़ दें.शनिवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं और स्वच्छ वस्त्र धारण करके शनिदेव के समक्ष पूजा और व्रत का संकल्प लें. उसके बाद पीपल के पेड़ में जल अर्पित कर मन ही मन शनिदेव का ध्यान करते हुए सात परिक्रमा लगाएं. इस दौरान पीपल के पेड़ में कच्चा सूट लपेटना शुभ माना गया है.

जंगलो के बीच बना है यह मंदिर
ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त यहां पर11 दिन शनि देव पर को कड़वा तेल अर्पित करताहैतो सारेकष्ट शनिदेव दूर कर देते हैं. पुजारी कुलद्विवेदी ने बताया कि यह मंदिर16 साल पुराना है. यहां पर पहले जंगल हुआ करता था. शनिवार केदिन काफी भक्तों की भीड़ होतीहै.जो व्यक्ति शनिवार का व्रत रखता है उसे मन, वचन और कर्म से पवित्र होना बेहद जरूरी है. इस दिन शनि देव की कथा सुनने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. शनिवार के दिन शाम के समय शनि देव की आरती करना बेहद जरूरी है.

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