मथुरा: भक्तों और सोशल मीडिया में बेहद लोकप्रिय संत श्री प्रेमानंद महाराज जी का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनका बचपन में नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था. श्री प्रेमानंद महाराज जी का नाम राधा रानी के परम भक्तों में से एक है. बहुत से लोगों के मन में सवाल उठता है कि प्रेमानंद महाराज किस संप्रदाय से आते हैं.
राधावल्लभ संप्रदाय एक वैष्णव संप्रदाय है जो वैष्णव धर्मशास्त्री हित हरिवंश महाप्रभु के साथ शुरू हुआ था. हित हरिवंश को वंशी का अवतार माना जाता है और यह भी कहा जाता है कि ये भगवान राधावल्लभ के दूत है. राधावल्लभ का अर्थ है ‘प्रभु श्री कृष्ण’. राधा वल्लभ संप्रदाय में राधा रानी की भक्ति की जाती है. प्रेमानंद महाराज भी राधावल्लभ संप्रदाय से आते हैं.
क्यों पहनते हैं पीले रंग के वस्त्र
अपने राधाजू को प्रसंन्न करने के लिए इस संप्रदाय के लोग सुंदर और अच्छे पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं. रोचक से टीके वाले ये लोग सभी से बहुत ही मधुरता से बात भी करते हैं, जैसा कि सभी लोगों ने प्रेमानंद महाराज से भी सुना होगा. लोगो का दावा है कि प्रेमानंद महाराज ने वृन्दावन में आने के बाद , स्वयं श्री चैतन्य महाप्रभु की लीलाएं अपने आंखो से देखी और रासलीला देखने का भी उन्हें सौभाग्य हासिल है. इन सब चीजों का अनुभव करने के बाद उन्होंने अपने जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन पाया.
महाराज प्रेमानन्द ने कैसे लिए राधा रानी संप्रदाय का मंत्र?
प्रेमानंद महाराज को एक दिन महसूस हुआ कि अब जीवन में जो है राधावल्लभ ही है. उसके बाद उन्होंने संन्यास त्याग कर भक्ति के मार्ग को चुनने का निर्णय ले लिया. ऐसा भी माना जाता है कि महाराज जी राधा वल्लभ मंदिर में पुरे दिन राधा जी को निहारते रहते थे. महाराज प्रेमानंद ने राधा वल्लभ सम्प्रदाय में जाकर शरणागत मंत्र लिया. इसके बाद उनके जीवन का एक ही मंत्र था– राधा नाम का जप.
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FIRST PUBLISHED : February 15, 2024, 16:53 IST