वृंदावन में गूंजा राधे-राधे, राधा अष्टमी पर इस अनोखे उत्सव को देख भक्त निहाल

सौरव पाल/मथुराः कन्हैया के बाद राधा रानी ने भी ब्रज में जन्म ले लिया. राधा अष्टमी पर बरसाना से लेकर वृंदावन तक राधा रानी के जन्मोत्सव की धूम देखने को मिल रही है. चारों ओर सिर्फ राधे-राधे के जयकारे गूंज रहे हैं. साथ ही ब्रज के सभी मंदिरों में राधा रानी के जन्म के उपलक्ष्य में उत्सव भी हो रहे हैं, जिसमें सबसे अलौकिक उत्सव राधाबल्लभ मंदिर में देखने को मिला.

वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर के पास स्थित श्री राधाबल्लभ मंदिर में 23 सितंबर को हर्ष और उल्लास के साथ राधा अष्टमी मनाई गई. मंदिर सेवायत मोहित मराल गोस्वामी ने बताया कि मंदिर में सुबह से ही बधाई गीत चल रहे थे. साथ ही ठाकुर जी का अभिषेक किया गया. अभिषेक के बाद लाडली जी के जन्म की खुशी में भक्तों ने बधाइयां लुटाई. किसी भक्त ने बर्तन तो किसी ने पैसे लुटाए. इसके बाद दोपहर को दर्शन बंद होने के बाद एक अद्भुत उत्सव मंदिर में मनाया गया, जो सभी के आकर्षण का केंद्र बना. इसे दधिकांता उत्सव कहा जाता है.

क्या होता है दधिकांत
आगे बताया कि दधिकांता दूध, दही, हल्दी, केसर और इत्र का एक मिश्रण होता है. जिसे किशोरी जी के जन्म के प्रसाद के रूप में गोस्वामी समाज और श्रद्धालुओं के ऊपर लुटाया जाता है. यह उत्सव अपने आप में एक अनोखा उत्सव है. इस उत्सव में शामिल होने और ठाकुर जी के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु राधाबल्लभ मंदिर में राधा अष्टमी के मौके पर आते हैं.

राधा जी की सवारी
इसके अलावा राधा अष्टमी के पर्व के दौरान मंदिर में चाव की सवारी भी निकाली जाती है. इसमें सभी वृंदावनवासी शामिल होते हैं और यह सवारी नगर भ्रमण करते हुए रासमंडल पहुंचती है. इस सवारी के दौरान वृंदावन का हर घर श्री राधा की सी सवारी के लिए दुल्हन की तरह सजा हुआ होता है.

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