मोदी ने कहा कि हमारा कर्तव्य है कि जो सुझाव हमें मिले हैं उनकी एक बार फिर समीक्षा की जाए ताकि उनकी प्रगति को कैसे गति दी जा सके। मेरा प्रस्ताव है कि नवंबर के अंत में हम जी 20 का एक वर्चुअल सत्र आयोजित करें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘स्वस्ति अस्तु विश्व- शांति के लिए प्रार्थना – के साथ जी20 शिखर सम्मेलन का समापन किया और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा को जी20 अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी। यह देखते हुए कि भारत नवंबर 2023 तक G20 अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी रखता है, पीएम मोदी ने शिखर सम्मेलन के दौरान चर्चा किए गए मुद्दों की समीक्षा के लिए एक आभासी सत्र का प्रस्ताव रखा। उन्होंने सभी से आभासी सत्र के दौरान जुड़ने का आग्रह करते हुए कहा पिछले दो दिनों में, आप सभी बहुत सारे सुझाव लेकर आए और प्रस्ताव रखे। यह हमारा कर्तव्य है कि हमें जो सुझाव मिले हैं उनकी समीक्षा करें ताकि यह देखा जा सके कि उनकी प्रगति को कैसे गति दी जा सकती है।
मोदी ने कहा कि हमारा कर्तव्य है कि जो सुझाव हमें मिले हैं उनकी एक बार फिर समीक्षा की जाए ताकि उनकी प्रगति को कैसे गति दी जा सके। मेरा प्रस्ताव है कि नवंबर के अंत में हम जी 20 का एक वर्चुअल सत्र आयोजित करें। हम उस वर्चुअल सत्र में इस शिखर सम्मेलन में तय किए गए विषयों की समीक्षा कर सकते हैं…मुझे आशा है कि आप सभी वर्चुअल सत्र में जुड़ेंगे…इससे , मैं जी 20 शिखर सम्मेलन के समापन की घोषणा करता हूं। पीएम मोदी ने ब्राजील को 2024 में उनके देश के आगामी अध्यक्षता के लिए बधाई दी। ब्राजील के राष्ट्रपति ने जी20 की अध्यक्षता संभालने के बाद पीएम मोदी को “जी20 ब्लॉक का कुशलतापूर्वक नेतृत्व करने और इस शिखर सम्मेलन में उत्कृष्ट कार्य” के लिए भी बधाई दी। उन्होंने वैश्विक समानता स्थापित करने के महत्व पर जोर दिया।
जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘नयी वैश्विक संरचना’ में दुनिया की ‘नयी हकीकत’ को प्रतिबिंबित करने का आह्वान किया, संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक निकायों में सुधार की मांग की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी20 के ‘एक भविष्य’ सत्र में कहा कि जब संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई थी और उसमें 51 देशों को शामिल किया गया था, तब दुनिया अलग थी। अब इस वैश्विक निकाय में सदस्य देशों की संख्या बढ़कर 200 हो गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन के समापन की घोषणा की, संस्कृत के एक श्लोक का संदर्भ देते हुए पूरे विश्व में शांति एवं सौहार्द की प्रार्थना की। वैश्विक निकायों में सुधार की मांग करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन में कहा कि यह प्रकृति का नियम है कि जो वक्त के साथ नहीं बदलते, वे अप्रासंगिक हो जाते हैं।
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