दुर्गेश सिंह राजपूत/नर्मदापुरम: सनातन धर्म में विवाह पंचमी का विशेष महत्व माना गया है. यह पर्व हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. नर्मदापुरम के ज्योतिषाचार्य पं. अजय दुबे के अनुसार इस वर्ष 17 दिसंबर को विवाह पंचमी मनाई जाएगी.
आगे बताया कि सनातन शास्त्रों में निहित है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम एवं माता जानकी मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को परिणय सूत्र में बंधे थे. इस विवाह प्रसंग की महिमा महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस में विस्तार से कही है.
बन रहा खास योग
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस बार विवाह पंचमी पर दुर्लभ हर्षण योग का निर्माण हो रहा है. इस योग में माता जानकी एवं भगवान श्रीराम की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होगी. इस योग का निर्माण 18 दिसंबर को देर रात 12:36 मिनट तक है. इस योग में अपने आराध्य की पूजा करने से सुख एवं सौभाग्य में वृद्धि होती है. साथ ही हर्षण योग में शुभ कार्य कर सकते हैं.
ये दो योग भी खास
विवाह पंचमी पर बालव एवं कौलव करण का भी निर्माण हो रहा है. सर्वप्रथम बालव करण का निर्माण हो रहा है. इस योग का निर्माण संध्याकाल 05:33 मिनट तक है. इसके पश्चात, कौलव करण का निर्माण हो रहा है. कौलव करण का निर्माण 18 दिसंबर को प्रातः 04:22 मिनट तक है.
पूजा का शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 16 दिसंबर को रात 8 बजे से शुरू होगी एवं 17 दिसंबर को संध्याकाल 5:53 मिनट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म में सूर्योदय के बाद तिथि की गणना की जाती है. इसके अनुसार 17 दिसंबर को विवाह पंचमी मनाई जाएगी.
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FIRST PUBLISHED : December 6, 2023, 16:51 IST