विवाह पंचमी तिथि का खास महत्व, भगवान राम और मां सीता से है संबंध

दुर्गेश सिंह राजपूत/नर्मदापुरम :हमारे हिंदू धर्म में विवाह पंचमी का विशेष ही महत्व बताया गया है. विवाह पंचमी को भगवान श्री राम एवं माता सीता के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है. विवाह पंचमी हर वर्ष मार्गशिर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है.

ज्योतिष आचार्य पंडित अजय दुबे ने कहा कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान राम एवं माता सीता का विवाह हुआ था, इसलिए विवाह पंचमी को भगवान राम एवं माता सीता के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाते हैं. इस विवाह पंचमी पर मंदिरों में भव्य आयोजन किए जाते हैं. साथ ही लोग घरों में भी पूजा पाठ का आयोजन करते हैं. विवाह पंचमी 17 दिसंबर को मनाई जाएगी. कुछ लोग विवाह पंचमी के दिन को विवाह करने वाला दिन समझते हैं, परंतु ऐसा नहीं है. इस दिन विवाह करना अशुभ माना जाता है.

विवाह पंचमी के दिन नहीं किया जाता विवाह
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्री राम एवं माता सीता की जोड़ी को आदर्शतम जोड़ी माना जाता है. हमारी भारतीय समाज में सुहागन महिलाओं को राम सीता की जोड़ी जैसा आशीर्वाद दिया जाता है. इसके साथ ही भगवान राम एवं माता सीता के परिश्रम की कहानी सबको सुनाई जाती है. फिर भी उनके विवाह की तिथि के दिन शादी करना अशुभ माना जाता है. दरअसल इसके पीछे की वजह है कि विवाह के बाद भगवान राम एवं माता सीता के जीवन में बहुत कष्ट आए थे. इस दौरान दोनों ने 14 साल का बनवास भी काटा साथ ही माता सीता को अग्नि परीक्षा से भी गुजरना पड़ा था.

माता सीता का किया था परित्याग
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार, सामाजिक मान्यताओं और अपने निष्पक्ष उसूलों के चलते भगवान श्री राम ने गर्भवती माता सीता का परित्याग कर दिया था. इसके बाद माता सीता ने अकेले ही अपने आगे का जीवन वन में गुजरा था. उन्होंने अकेले ही अपने बच्चों का पालन पोषण किया. भगवान श्री राम एवं माता सीता के वैवाहिक जीवन में इतने संघर्षों को देखते हुए लोग यह पर्व तो मानते हैं, लेकिन इस दिन अपनी संतान का विवाह नहीं करते. ऐसा इसलिए ताकि भगवान श्रीराम एवं माता सीता जितना दुख उनकी संतान को न झेलना पड़े.

विवाह पंचमी पर ये कार्य करें
1. हमें विवाह पंचमी के दिन श्रीराम एवं माता सीता के विवाह का अनुष्ठान करना चाहिए.

2. हम इस दिन माता सीता एवं राम जी की तस्वीर की स्थापना करते हुए उन्हें माला पहनाएं.

3. अगर कुंवारी कन्याएं ॐ जानकी वल्लभाय नमः का मंत्र 108 बार पढ़ती हैं, तो उन्हें राम जी के समान सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.

विवाह पंचमी पर यह न करें
हमें विवाह पंचमी के दिन शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों को करने से बचना चहिए. इसके साथ ही इस दिन घर में गंदगी न रखें. खास कर विवाह पंचमी के दिन घर में मांसाहारी भोजन बनाने की भूल न करें. यह बहुत ही अशुभ माना गया है.

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