विवाह की अजीब रस्म, मां के हाथ में जूठन गिराते हैं दूल्हा-दुल्हन, जानें क्यों

शशिकांत ओझा/पलामू. हिंदू धर्म विवाह संस्कार काफी अहम माना गया है, लेकिन इसकी रस्में देश में कई जगह अलग-अलग हैं. झारखंड व बिहार में भी ऐसी की एक रस्म है, जिसे अमिलो कहा जाता है. इस रस्म में वर-वधु की मां उन्हें गोद में लेकर रुदन करती है. इस दौरान उनके भाई उन्हें चुप कराते है. वहीं दूल्हा-दुल्हन मां के हाथों में आम के पत्ते को काटकर जूठन गिराते हैं, मगर क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है?

मां का बेटे या बेटी से रिश्ता सबसे खास होता है. हर मां चाहती है की मेरा पुत्र या पुत्री हमसे दूर न जाए या मेरी ममता को भूल न जाए. रामायण के बालकांड में भी इसका जिक्र है कि राजा दशरथ भगवान राम को बुला रहे हैं, लेकिन भगवान राम उनके पास नहीं आते. तुलसीदास जी लिखते हैं “कौसल्या जब बोलन जाई, ठुमुक ठुमुक प्रभु चलहिं पराई”. जब माता कौशल्या बुलाती हैं तब भगवान राम दौड़े चले आते हैं.

ममता दिखाने के लिए हाथो पर लेती हैं जूठन
पुजारी श्याम बाबा ने बताया कि शादी विवाह को शास्त्र में यज्ञ का दर्जा दिया गया है, जिसमें कई रस्में निभाई जाती हैं. झारखंड-बिहार में एक लोकाचार के रूप में अमिलो रस्म निभाई जाती है. इस दौरान वर या वधु की मां उन्हें गोद में लेकर रुदन करती है. इस दौरान वर-वधु आम के पत्ते को दांतों से काटकर मुंह में पानी लेकर अपनी मां के हाथों में गिराते हैं. इस प्रथा से मां बताती है कि ”9 माह तुम्हें कोख में रखने के साथ-साथ जन्म से लेकर अभी तक तुम्हारे हर अच्छे-बुरे काम यहां तक की तुम्हारे जूठे और आंसू को भी अपने हाथों में लिए. अभी भी तुम्हारी गंदगी से मुझे स्नेह है. तुम्हारा एक-एक बूंद मेरे हृदय के लिए प्यारा है. तुम्हारा थूक भी मेरे लिए ममता से भरा है. तुम किसी और के पास जाकर मेरे स्नेह को भूल मत जाना.” यह प्रथा मां की ओर से बेटे-बेटी को सीख होती है.

अमिलो में भाई आते हैं बहन को चुप कराने
बताया कि विवाह का सबसे स्नेह भरा पल अमिलो होता है, जिसमें भाई बहन, मां-बेटे और मां-बेटी का प्यार देखने को मिलता है. इस दौरान माता अपने पुत्र या पुत्री को गोद में लेकर रुदन करती है, वो रुदन इस भय से करती है कि मेरा बेटा या बेटी एक नए संबंध से जुड़ने जा रहे हैं. कहीं वहां जाकर मेरे प्यार और दुलार को भूल न जाएं. अभी तक हमने अपनी गोद में पाला और बड़ा किया. अब वैवाहिक संबंध में बंधने के बाद पुत्र या पुत्री हमारा परित्याग न कर दें. अपने आगामी दुख को सोच कर मां रुदन करती है. इस दौरान उनके भाई उन्हें कपड़े, गहने और पैसे देकर चुप कराते हैं और आश्वस्त करते हैं कि बहना हम तुम्हारे साथ हैं.

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