विरात्रा वांकल धाम: बेहद खास है राजस्थान का यह माता मंदिर, विक्रमादित्य द्वितीय ने की थी स्थापना

हाइलाइट्स

शारदीय नवरात्र 2023
विरात्रा वांकल धाम में दर्शनों के लिए उमड़े श्रद्धालु
2 हजार साल पहले वीर विक्रमादित्य ने की थी मंदिर की स्थापना

बाड़मेर. बाड़मेर जिले में स्थित वांकल विरात्रा धाम में शारदीय नवरात्र के चौथे दिन श्रद्धालुओं का हुजूम देखने को मिला है. यहां पर हर साल शारदीय नवरात्र में देश के कई हिस्सों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर रेतीले धोरों और पहाड़ियों से घिरे इस मंदिर में नवरात्रि के दिनों में मेले जैसा माहौल रहता है. मंदिर में घट स्थापना करने वाले पंडित के अनुसार शारदीय नवरात्र के इस मौके पर विरात्रा की वांकल माता मंदिर का विशेष महत्व है. इस मंदिर की मूर्ति इतनी विलक्षण है कि इसके दर्शन मात्र से मन के सभी बुरे विकार दूर हो जाते हैं और इंसान के शरीर में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

विरात्रा धाम की स्थापना वीर विक्रमादित्य द्वितीय के द्वारा करीब 2 हजार वर्ष पहले की गई थी. स्थानीय जानकारों के मुताबिक जब वीर विक्रमादित्य ने आक्रांताओं का खात्मा कर बलूचिस्तान स्थित शक्तिपीठ हिंगलाज माता की पूजा- अर्चना की तो माता ने प्रसन्न होकर उन्हें यशस्वी होने वरदान दिया था. उसके बाद विरात्रा धाम की स्थापना की गई थी.

विक्रमादित्य ने मांगा था साथ चलने का वरदान
इतिहासकारों के अनुसार विक्रमादित्य ने हिंगलाज माता से वरदान मांगा था कि मैं हमेशा आपके दर्शन करना चाहता हूं. उन्होंने जब मां से उज्जैन चलने के लिए आग्रह किया तो हिंगलाज देवी ने उनके साथ मूर्ति रूप में चलने का वादा किया. इसके साथ ही विक्रमादित्य से वचन लिया कि रास्ते में पीछे मुड़कर मत देखना. लेकिन माता की मूर्ति लाते समय विक्रमादित्य पूछे मुड़ गए और तभी आकाशवाणी हुई कि आपसे गलती हो गई. इसके बाद राजा ने चोटी पर ही मूर्ति को स्थापित कर दिया. वहीं रात्रि विश्राम के कारण इस जगह का नाम विरात्रा पड़ा और यह मंदिर वांकल माता के नाम से प्रसिद्ध हो गया.

मंदिर के ऊपर से नहीं उड़ते हैं कौवे
विरात्रा धाम मंदिर ट्रस्ट के सचिव भैरसिंह सोढ़ा ने बताया कि कौवों को श्राप लगने के कारण एक भी कौआ इस मंदिर के ऊपर से उड़ता हुआ दिखाई नहीं देता है. इसके पीछे जो कहानी बताई जाती है उसके मुताबिक मंदिर में दर्शनों के लिए आई एक महिला का प्रसाद कौवे ने झूठा कर दिया था. उसके बाद उस महिला की पहाड़ी से गिरने के कारण मौत हो गई थी. तभी से यहं पर कौवे उड़ते हुए दिखाई नहीं देते हैं.

Tags: Barmer news, Navratri festival, Rajasthan news, Religious Places

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