हाइलाइट्स
पैर न छूने के पीछे भी शर्मा का अजीब तर्क, कहा – ऐसा करने से पुण्य खत्म हो जाते हैं.
भोपाल. विदिशा जिले की सिरोंज सीट से भाजपा के विधायक उमाकांत शर्मा ने वानप्रस्थ आश्रम ग्रहण कर लिया है. सिरोंज में जनता दरबार में शर्मा ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इसी वजह से घर छोड़ दिया है. वानप्रस्थ आश्रम का जिक्र करते हुए शर्मा ने कहा कि उनका स्वागत सत्कार न किया जाए. गुलदस्ता, तौलिया, शाल आदि न लाए जाएं.
उमाकांत शर्मा पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के भाई है. लक्ष्मीकांत शर्मा व्यापमं घोटाले में आरोपी रहे हैं. दो साल पहले कोरोना संक्रमण से उनकी मृत्यु हो गई थी. 23 फरवरी को शर्मा ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक वीडियो शेयर किया था. इस वीडियो में वे वानप्रस्थ आश्रम का ऐलान करते हुए नजर आ रहे हैं. वीडियो में शर्मा लोगों से कहते हैं अब से कोई उनके पैर नहीं पड़ेगा. ऐसा करने से उनके पुण्य खत्म हो जाते हैं. अब वानप्रस्थ आश्रम के वक्त पुण्य बचे रहे हैं, इसलिए लोग पैर न छुएं. लोगों ने उनसे इस फैसले को वापस लेने की अपील भी की. वहीं, उन्होंने कहा – ‘मैं अब किसी की भी शादी-ब्याह, बर्थडे आदि के कार्यक्रम में नहीं जाऊंगा.’ इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि 80-80 कार्ड आ रहे हैं. किसी के यहां नहीं जा पाता तो निराशा होती है. वहीं, उन्होंने गमी कार्यक्रमों में जाने की बात भी कही.
टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलना वक्त की बर्बादी
विधायक ने लोगों से कहा- ‘अब मैं किसी क्रिकेट प्रतियोगिता में नहीं जाऊंगा. बच्चे दो-ढाई लाख के चक्कर में क्रिकेट खेलकर अपना वक्त बरबाद करते हैं. टेनिस बाल से खेलकर क्या कोई सचिन तेंदुलकर बन जाएगा.’
बयानों को लेकर रहते हैं चर्चाओं में
विधायक उमाकांत शर्मा 59 साल के हैं और अविवाहित हैं. वे अपने भाई पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. लगातार दूसरी बार सिरोंज से निर्वाचित हुए हैं. पोस्ट ग्रेजुएट उमाकांत आध्यात्मिक और दार्शनिक पुस्तकें पढ़ना पसंद करते हैं. वे अक्सर अपने बयानों और गतिविधियों से चर्चा में रहते हैं.
राजनीति नहीं छोडूंगा, जनता की सेवा करता रहूंगा
शर्मा ने वीडियो में कहा- ‘वानप्रस्थ आश्रम और घर त्यागने की बात कोई अनोखी नहीं है. वैसे भी मैं पुजारी परिवार से हूं. धार्मिक वृत्ति का व्यक्ति हूं. मैंने अपने स्वयं के घर की बजाय पूरी विधानसभा को अपना घर मान लिया है. इसके निवासियों की अपने परिजन जैसी सेवा करूंगा. राजनीति नहीं छोड़ रहा हूं, इसे अपनी जनता की सेवा का जरिया मानकर चलता हूं. और चलता रहूंगा.’

हिंदु धर्म में खास है वानप्रस्थ आश्रम
हिन्दू धर्म में जीवन जीने के चार मुख्य चरणों का वर्णन है, जिन्हें आश्रम कहा जाता है. प्रत्येक आश्रम व्यक्ति के जीवन में एक विशिष्ट भूमिका निभाता है और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करता है. ब्रह्मचर्य आश्रम जीवन का पहला चरण है, जो युवावस्था तक जारी रहता है. इसमें व्यक्ति शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करने पर केंद्रित होता है. गृहस्थ दूसरा आश्रम है जिसमें विवाह, परिवार और सामाजिक जिम्मेदारियों पर ध्यान दिया जाता है. वानप्रस्थ आश्रम में व्यक्ति सांसारिक जीवन से धीरे-धीरे हटकर आध्यात्मिकता और आत्म-साक्षात्कार पर ध्यान केंद्रित करता है. संन्यास आश्रम में व्यक्ति सांसारिक जीवन से पूरी तरह से अलग होकर ईश्वर प्राप्ति के लिए समर्पित हो जाता है.
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FIRST PUBLISHED : February 27, 2024, 15:56 IST