विदेशी मेहमानों से गुलजार हुआ भागलपुर, हजारों KM की यात्रा कर पहुंचे प्रवासी पक्षी

सत्यम कुमार/भागलपुर. भागलपुर इन दिनों विदेशी मेहमानों से गुलजार है. यह हजारों किलोमीटर की यात्रा कर पहुंचते हैं. एक तरफ जहां गरुड़ का बसेरा है, ऑस्ट्रेलिया, मंगोलिया सहित कई देशों से 300 प्रजाति से अधिक विदेशी पक्षी 6 से 10 हजार किलोमीटर की यात्रा तय कर यहां पहुंचते हैं. दरअसल आपको बता दें कि अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से प्रवासी पक्षी का आना प्रारंभ हो जाता है और दिसंबर तक इस पक्षी का आने जाने का सिलसिला थमता नहीं है.

इसको लेकर बर्ड गाइड गौरव सिन्हा ने बताया कि हर वर्ष अक्टूबर के दूसरे सप्ताह के दूसरे शनिवार को विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मनाया जाता है. उन्होंने बताया कि भागलपुर एक ऐसा जगह है, जहां पर प्रवासी पक्षी को काफी प्रचुर मात्रा में उसके अनुसार का भोजन व उस परिवेश का वातावरण मिलता है. इसलिए यहां पर हजारों हजार की संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं.

नवगछिया में बने जगतपुर झील में इनका बसेरा
अगर बर्ड गाइड गौरव सिन्हा की मानें तो हजारों मिल की यात्रा कर प्रवासी पक्षी भागलपुर पहुंचते हैं. खासकर भागलपुर के नवगछिया में बने जगतपुर झील में इनका बसेरा हुआ करता है. लेकिन वह झील प्राइवेट होने की वजह से धीरे-धीरे समाप्त हो गया. पक्षियों ने भी अपना बसेरा बदलना शुरू कर दिया. अब विदेशी पक्षी बाइपास किनारे बने छोटे-छोटे झील में नजर आने लगे हैं.

उन्होंने बताया कि हमारे जीवन में पक्षी की काफी महत्व है. इसको बचाना काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है. खासकर जो मेहमान हमारे देश पहुंचते हैं उनको बचाना और भी महत्वपूर्ण है. बर्ड गाइड गौरव सिन्हा ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया, मंगोलिया सहित कई देशों से पक्षी पहुंचते हैं. इनका एक रास्ता होता है, जिसको एयरवेज कहते हैं, उसी रास्ते के माध्यम से यह पक्षी हजारों मील की यात्रा कर भागलपुर पहुंचते हैं.

भागलपुर का वातावरण इन पक्षी के अनुकूल
300 प्रजाति से भी अधिक पक्षी यंहा पहुंचते हैं. इसमें कॉमन पोचार्ड, लालसर, कॉमन डक, कॉमन टिल, पिनटेल सहित कई तरह की प्रजाति की पक्षी पहुंचती है. उन्होंने बताया कि जब अलग अलग देशों में बर्फबारी होती है. तो वहां इसको खाना नहीं मिल पाता है. तो वहाx से पक्षी घूमने निकल जाते हैं, जहां उनको सही ठिकाना लगता है. वहीं वो अपना बसेरा बना लेते हैं.

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भागलपुर का वातावरण इन पक्षी के अनुकूल है, इसलिए यहाँ पर अधिक पक्षी नजर आती है. लेकिन अगर झील नहीं बची तो इनका आना भी खत्म हो जाएगा.

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