मोहन ढाकले/बुरहानपुर. इन दिनों शादी का सीजन चल रहा है. हर शादी में विदाई के दौरान दुल्हन चावल और धान फेंकती है. शादी की इस रस्म को लेकर तरह-तरह की बातें कही जाती हैं, लेकिन पंडित शैलेंद्र मुखिया ने मुख्य वजह पर प्रकाश डालते हुए इस रस्म का बड़ा महत्व बताया. उनका कहना है कि हिंदू संस्कृति में बेटी दो कुलों को तारती है. मां-बाप के घर बेटी लक्ष्मी और अन्नपूर्णा का स्वरूप मानी गई है.
उसके जाने के बाद मायके में सुख समृद्धि और धन-धान्य बना रहे इसके लिए बेटी विदाई के समय इस परंपरा का निर्वहन करती है. निमाड़ क्षेत्र में चावल फेंकने की परंपरा बहुत पुरानी है. पंडित शैलेंद्र ने बताया कि परंपरा के अनुसार, विदाई के दौरान बेटी अपने हाथ से चावल या धान घर में इधर-उधर फेंकते हुए बाहर निकलती है. बेटी की मां इस अन्न को घर के भंडार में रखती है, जिससे धन-धान्य बना रहता है.
इन बातों का रखना चाहिए ध्यान
पंडितजी कहते हैं कि शादी के समय जब विदाई होती है तब कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए. सबसे पहले बेटी की विदाई शुभ मुहूर्त में हो. राहुकाल और चौघड़िया देखकर ही विदाई करना चाहिए. जब चावल या धान फेंकने की परंपरा कराई जाती है, तब उस समय यह विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि राहुकाल या चौघड़िया न लगी हो. ऐसा करने से बेटी के जीवन और उसके परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
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FIRST PUBLISHED : January 17, 2024, 18:40 IST