कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में 10 जनवरी तक 141,000 से अधिक कंपनियां शामिल की गई हैं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय के तहत अब तक शामिल कंपनियों की सबसे अधिक संख्या है। इसी कड़ी में 10 जनवरी, 2024 तक 44,000 से अधिक लिमिटिड लायबिलिटी पार्टनरशिप शामिल की गईं, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह संख्या 28,000 से कुछ अधिक थी।
कंपनियों की संख्या बढ़ने का सीधा अर्थ है कि देश में आर्थिक गतिविधियां बढ़ रही है। लिमिटिड लायबिलिटी पार्टनरशिप मूल रूप से एक साझेदारी को दर्शाता है। इसमें जरिए साझेदारी के ऋणों के प्रति प्रत्येक भागीदार की देनदारी प्रकृति में सीमित होती है। कंपनियों के नए पंजीकरण मंत्रालय के नए पोर्टल पर दर्ज हुए है।अब सरकार इसकी प्रारंभिक गड़बड़ियों को हल करने के लिए काम कर रही है। “सिस्टम बहुत अच्छे से काम कर रहा है। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, हमारे हेल्प डेस्क पर पिछले वर्ष की तुलना में बहुत कम कॉल आई हैं।
इस संबंध में उद्योग प्रतिनिधियों का कहना है कि शुरुआती मुद्दों का समाधान कर लिया गया है। इसमें लॉगिन, सबमिशन और फॉर्म डाउनलोड करने में समस्याएं शामिल है। एकमात्र समस्या निगमन प्रमाणपत्र जारी करना है, जिसमें बहुत समय लगता है। वरिष्ठ कंपनी सचिव अमित गुप्ता ने कहा कि जीएसटी पंजीकरण भी निर्बाध नहीं है।
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