प्रवीण मिश्रा/खंडवा. सनातन परंपरा में विजयादशमी या फिर कहें दशहरे का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है. बुराई पर अच्छाई की जीत से जुड़े इस पर्व पर भगवान राम की पूजा के साथ शस्त्र पूजा की पूजा विधान है. प्राचीन काल से राजा–महाराजाओं द्वारा की जाने वाली शस्त्र पूजा आज तक चली आ रही है. मान्यता है कि विजयादशमी पर्व पर शस्त्र की विधि–विधान से पूजा करने पर पूरे वर्ष शत्रुओं पर विजय प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है. यही कारण है कि आम आदमी से लेकर भारतीय सेना तक दशहरे के दिन विशेष रूप से शस्त्रों का पूजन करती है.
पंडित राजेश पाराशर ने बताया कि दशहरे के दिन शस्त्र की पूजा करने के लिए सुबह स्नान–ध्यान करने के बाद विजय मुहूर्त में शस्त्रों को निकाल कर एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर रखें. इसके बाद शस्त्र को बेहद सावधानी के साथ साफ करके गंगाजल से पवित्र करें. इसके बाद शस्त्र का रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप आदि से विधि–विधान के साथ पूजा करें. शस्त्र पूजा के समय भगवान श्री राम और मां काली के मंत्र का विशेष रूप से जाप करें. शस्त्र पूजा के बाद अपने बड़े–बुजुर्गों का विशेष रूप से आशीर्वाद लेना चाहिए.
शस्त्र पूजन में इन बातों का रखे ध्यान
दशहरा पर्व के अवसर पर अपने शस्त्र को पूजने से पहले सावधानी बरतना न भूलें. हथियार के प्रति जरा-सी लापरवाही बड़ी भूल साबित हो सकती है. घर में रखे अस्त्र-शस्त्र को अपने बच्चों व नाबालिगों की पहुंच से दूर रखें. घर में हथियार तक पहुंच किसी भी स्थिति में न हो. हथियार को खिलौना समझने की भूल करने वालों के दुर्घटना के शिकार होने के कई मामले सामने आ चुके हैं. सबसे अहम यही है कि पूजा के दौरान बच्चों को हथियार न छूने दें और किसी भी तरह का प्रोत्साहन बच्चों को न मिले.
.
FIRST PUBLISHED : October 23, 2023, 09:22 IST