विचार व्यक्तित्त्व की जननी है, जो आप सोचते हैं बन जाते हैं- स्वामी विवेकानंद

अभूतपूर्व विविधता के बीच लोकतंत्र को सशक्त बनाए रखने की भारत की क्षमता विश्व की उन उन्नत औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं तक के लिये उदाहरण पेश कर सकती है जो पारंपरिक एकल-सांस्कृतिक राष्ट्र की तरह संचालित किये जाते रहे हैं. विवेकानंद का विचार है, कि सभी धर्म एक ही लक्ष्य की ओर ले जाते हैं, जो उनके आध्यात्मिक गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस के आध्यात्मिक प्रयोगों पर आधारित है. भारत के अतीत के संबंध में विवेकानंद की व्याख्या तार्किक थी और यही कारण रहा कि जब वे पश्चिम से वापस लौटे तो उनके साथ बड़ी संख्या में उनके अमेरिकी और यूरोपीय अनुयायी भी साथ आए. विवेकानंद ने आधुनिक भारत के निर्माताओं पर भी महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाला जिन्होंने बाद में द्वि-राष्ट्र सिद्धांत को चुनौती दी. उनका मानना था कि किसी भी राष्ट्र का युवा जागरूक और अपने उद्देश्य के प्रति समर्पित हो, तो वह देश किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है. युवाओं को सफलता होने के लिये समर्पण भाव को बढ़ाना होगा और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिये तैयार रहना होगा. विवेकानंद के विचार युवाओं को आध्यात्मिक बल के साथ-साथ शारीरिक बल में वृद्धि करने के लिए आज भी प्रेरित करते हैं. राष्ट्रीय युवा दिवस पर पढ़ें स्वामी विवेकानंद के मोटिवेशनल कोट्स, जो नौजवानों में जोश भर देंगे-

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